आगामी 12 फरवरी को नीतीश सरकार के फ्लोर टेस्ट को लेकर बिहार में सियासी हलचल तेज हो गई है। एक तरफ जहां विधायकों के पाला बदलने के डर से कांग्रेस ने अपने सभी विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया है तो वहीं सत्ताधारी दल जेडीयू और बीजेपी को भी विधायकों के टूटने का डर सता रहा है।
दरअसल, बिहार में नई सरकार के गठन के बाद से ही विपक्षी दल फ्लोर टेस्ट से पहले बड़े खेल की बात कह रहे हैं। सत्ता में एनडीए की वापसी के बाद कांग्रेस ने पार्टी में टूट के डर से अपने 16 विधायकों को हैदराबाद शिफ्ट कर दिया है, जो 12 फरवरी को पटना पहुंचेंगे। आरजेडी और कांग्रेस लगातार इस बात का दावा कर रहे हैं कि नीतीश सरकार फ्लोर टेस्ट की अग्निपरीक्षा पास नहीं कर पाएगी।
ऐसे तमाम तरह के दावों से सत्ताधारी दलों में भी खलबली मची हुई है। भले ही जेडीयू और बीजेपी कह रहे हैं कि उनके पास बहुमत का आंकड़ा है और किसी तरह का कोई खेल नहीं होने जा रहा है हालांकि, अंदर ही अंदर उनमें संभावित खेल का डर भी सता रहा है। संभावित खेल के डर से बीजेपी और जेडीयू ने भी अपनी रणनीति बनाई है और विधायकों को एकजुट रखने पर काम कर रहे हैं।
बीजेपी ने बोधगया में 10 और 11 फरवरी को प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया है, जिसमें सभी 78 विधायक, विधान पार्षद और पार्टी के पदाधिकारियों को बोधगया पहुंचने का निर्देश दिया गया है। बीजेपी के सभी विधायक फ्लोर टेस्ट से पहले पटना से दूर रहेंगे। इस प्रशिक्षण शिविर के जरिए बीजेपी अपने विधायकों को संभावित खेल के डर से बोधगया शिफ्ट कर रही है। आज बीजेपी के सभी विधायक बोधगया कूच कर जाएंगे और 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट के दिन पटना पहुंचेंगे।
उधर, 12 फरवरी को विधानसभा में विश्वास मत से पहले जेडीयू ने भी अपने सभी विधायकों को शनिवार तक पटना पहुंचने का निर्देश दिया है। सभी विधायकों को मंत्री श्रवण कुमार के आवास पर शनिवार को आयोजित भोज में आमंत्रित किया गया है। इसके साथ ही जेडीयू ने रविवार को मंत्री विजय कुमार चौधरी के आवास पर अपने विधानमंडल के नेताओं की बैठक बुलाई है। फ्लोर टेस्ट से पहले अगले दो दिनों तक जेडीयू के सभी विधायक नीतीश की नजरों के सामने रहेंगे।
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