एनडीए सरकार के विश्वासमत से पहले विधायकों को एकजुट रखने की मुहिम में सभी दल लग गए हैं। भाजपा और कांग्रेस के बाद अब राजद ने अपने विधायकों को एक जगह जुटा लिया है। ये तेजस्वी यादव के नाम से आवंटित सरकारी आवास में रखे गए हैं।

शनिवार की शाम पांच देशरत्न मार्ग स्थित तेजस्वी आवास पर बुलाई गई बैठक में आने वाले विधायकों को कहा गया कि जरूरी सामान मंगवा लें। आज से सोमवार की सुबह तक सबको यहीं रहना है। बाहरी संपर्क से परहेज करने की भी सलाह दी गई है। अगले 40 घंटे तक सभी विधायक अब तेजस्वी आवास में ही रहेंगे।

विश्वासमत से पहले एकजुटता सुनिश्चित करने को लेकर राजद के शीर्ष नेतृत्व ने शनिवार की सुबह सभी विधायकों को अचानक से पटना तलब कर लिया। जो विधायक जहां थे, वहीं से तेजस्वी आवास पहुंचने लगे। दोपहर बाद तीन बजते-बजते तेजस्वी आवास पर विधायकों की गहमागहमी बढ़ गई।

शाम करीब साढ़े चार बजे तेजस्वी यादव समेत पार्टी के शीर्ष नेताओं ने विधायकों से संवाद किया। इस दौरान सभी को एकजुट रहने और बाहरी लोगों से संपर्क न रखने का निर्देश दिया गया। बैठक खत्म होने के बाद विधायकों को बताया गया कि सोमवार तक अब सभी को तेजस्वी आवास में ही रुकना है। किसी को भी बाहर जाने की इजाजत नहीं होगी।

विधायकों को कपड़े एवं अन्य जरूरी सामान कर्मियों के जरिए मंगा लेने को कहा गया है। राजद विधायक चेतन आनंद और विधान परिषद सदस्य विनोद कुमार जायसवाल ने देर शाम दावा किया कि एकाध को छोड़ कर सभी विधायक यहां पहुंच गए हैं।

73 विधायकों के पहुंचने की सूचना

चेतन ने कहा कि हॉस्टल जैसा अहसास हो रहा है। राजद के 79 विधायक हैं। तेजस्वी आवास पर हुई बैठक में करीब 73 विधायकों के पहुंचने की सूचना है।

पांच से छह विधायक निजी एवं स्वास्थ्य कारणों से बैठक में अनुपिस्थत बताए गए हैं। इन सबने बैठक से अनुपस्थित रहने की सूचना पार्टी नेतृत्व को दे दी थी।

विधायकों के जुटान को देखते हुए तेजस्वी आवास की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है। किसी भी अनजान व्यक्ति के आवास के अंदर आने-जाने पर रोक लगा दी गई है।

राजनीतिक बंधक बनाए गए महागठबंधन के विधायक: नीरज

वहीं, जदयू के मुख्य प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा है कि महागठबंधन के विधायकों एवं विधान परिषद सदस्यों को राजनीतिक रूप से बंदी बना दिया गया है। ये सदस्य अभी से 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट तक पूर्व उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को आवंटित सरकारी आवास में रहेंगे।

इससे प्रमाणित होता है कि विश्वासमत पेश होने से पहले ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जीत गए हैं। महागठबंधन की हार हो गई है। कुमार ने कहा कि राजद और उसके घटक दलों को अपने विधायकों पर भरोसा नहीं है। इसलिए उन्हें बंधक बना कर रखा गया है।