सावन का पहला सोमवारः गोरखपुर का चमत्कारी शिवलिंग, महमूद गजनवी भी नहीं कर पाया था ‘बाल बांका’
सावन का आज पहला सोमवार है। देशभर के शिवालयों में भगवान शिव का अभिषेक किया जा रहा है। 12 ज्योतिर्लिंग के अलावा भी देश में ऐसे शिव मंदिर हैं, जहां की अपनी आलौकिक कहानियां हैं। ऐसी ही एक कहानी है गोरखपुर के झारखंडी नीलकंठ महादेव मंदिर की। कहा जाता है कि इस शिवलिंग का विदेशी आक्रांत महमूद गजनवी छू तक नहीं पाया था।
जानकारी के मुताबिक, गोरखपुर से करीब 30 किमी दूर खजनी कस्बे के पास गांव सरया तिवारी में झारखंडी नीलकंठ महादेव मंदिर स्थित है। इस मंदिर की कहानी ऐसी है, जिसे जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। इस शिवलिंग को विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी ने तोड़ने का बहुत प्रयास किया, लेकिन वह हार गया। महमूद गजनवी यमनी वंश के तुर्क सरदार गजनी के शासक सुबुक्तगीन का बेटा था।
गजनवी ने 17 बार किया आक्रमण
महमूद गजनवी ने बगदाद के खलीफा के आदेश पर भारत के कई हिस्सों पर आक्रमण किए। उसने भारत पर 1001 से 1026 ई. के बीच 17 बार आक्रमण किए। हर बार के आक्रमण में उसने यहां के हिंदू, बौद्ध और जैन मंदिरों को ध्वस्त करके उनको लूटना शुरू कर दिया।
उसने मुल्तान, लाहौर, नगरकोट और थानेश्वर तक के विशाल भू-भाग में खूब मार-काट की। बौद्ध और हिंदुओं को जबर्दस्ती इस्लाम अपनाने पर मजबूर किया। उसको आदेश था कि हिंदुओं के सभी प्रमुख धर्मस्थलों को ध्वस्त करना है और जहां भी सोना मिले, उसे लाना है। गजनवी ने ही सोमनाथ के मंदिर को ध्वस्त किया था।
मंदिरों से धन और सोना लूटा
बताया जाता है कि गजनवी जहां से भी गुजरता वहां के मंदिर से धन, स्वर्ण आदि को लूट लेता था। जब वह उत्तर प्रदेश में दाखिल हुआ तो यहां के मंदिरों को देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गईं। लीलाधर कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा में बने भव्य मंदिर को देखकर लुटेरा महमूद गजनवी भी आश्चर्यचकित रह गया था।
उसके मीर मुंशी अल उत्वी ने अपनी पुस्तक तारीख ए यामिनी में लिखा है कि गजनवी ने मंदिर की भव्यता देखकर कहा था कि इस मंदिर के बारे में शब्दों या चित्रों से बखान करना नामुमकिन है। उसका अनुमान था कि वैसा भव्य मंदिर बनाने में 10 करोड़ दीनार खर्च करने होंगे और इसमें 200 साल लगेंगे।
गोरखपुर में यहां स्थित है झारखंडी मंदिर
मंदिर तोड़ने और लूटने के इस क्रम में उसे कई जगहों पर चमत्कारों का भी सामना करना पड़ा। ऐसी ही एक जगह थी सरया तिवारी। गोरखपुर से 30 किमी दूर खजनी कस्बे के पास के गांव सरया तिवारी में झारखंडी महादेव के शिवलिंग पर उसकी नजर पड़ी और उसे पता चला कि यह बहुत ही प्राचीन है, तो उसने मंदिर को ध्वस्त कर शिवलिंग को भी तोड़ने का प्रयास किया।
कहते हैं कि शिवलिंग पर जहां भी कुदाल आदि चलाई गई, तो वहां से खून की धार फूट पड़ती थी। फिर उसने उस शिवलिंग को भूमि से उखाड़ने का प्रयास किया, लेकिन उसे जमीन के अंदर शिवलिंग का कोई छोर ही नहीं मिला। आखिरकार गजनवी हार गया। तब उसने इस शिवलिंग पर अरबी में कलमा लिखवाया दिया ताकि हिंदू इस शिवलिंग की पूजा करना छोड़ दें, लेकिन वर्तमान में इस शिवलिंग की हिंदू समेत मुस्लिम भी पूजा करते हैं।
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