बिहार में पहली बार ऐसी व्यवस्था की गई है कि मंत्री और सचिव या उससे उपर स्तर के अधिकारियों को जिलों का प्रभारी बनाया जाता है। अब कुछ ऐसा ही नियम पुलिस महकमे में भी लागू किया गया है। दरअसल, बिहार में पहली बार पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों को जिलों का प्रभार सौंपने की बातें कही गई है।तो आइए जानते हैं कि पुलिस मुख्यालय से तरफ से क्या निर्देश जारी किए गए हैं।
दरअसल, बिहार में अब प्रत्येक जिले के लिए एक-एक प्रभारी आईपीएस अधिकारी भी होंगे। राज्य पुलिस मुख्यालय में तैनात डीआईजी, आईजी से लेकर एडीजी रैंक के अधिकारियों को अलग-अलग जिले का प्रभार सौंपा गया है। ये अधिकारी अपने-अपने प्रभार वाले जिलों का सप्ताह में दो दिन (बुधवार एवं गुरुवार) को दौरा करेंगे और इसकी पूरी रिपोर्ट सीधे डीजीपी को सौंपेंगे। इससे संबंधित आदेश डीजीपी विनय कुमार ने जारी किया है।
यहां ध्यान देने वाली बातें यह है कि बिहार में पहली बार ऐसी व्यवस्था की गई है। इससे पहले सूबे के अंदर मंत्री और सचिव या उससे उपर स्तर के अधिकारियों को जिलों का प्रभारी बनाये जाने की व्यवस्था रही है। लेकिन,पुलिस महकमे में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। लेकिन, अब बिहार में पहली बार पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों को जिलों का प्रभार सौंपने की अपनी तरह की पहल की गई है।
बताया जा रहा है कि इन आईपीएस अधिकारियों को अपने-अपने जिलों में जाकर थाना से लेकर जिला स्तर की पुलिसिंग की समीक्षा करनी होगी। इन्हें मुख्य रूप से 19 बिन्दुओं पर समीक्षा करते हुए अपनी रिपोर्ट डीजीपी को देनी है। इसके आधार पर संबंधित पदाधिकारियों पर आगे की कार्रवाई होगी। ये अधिकारी संबंधित जिलों में अपराध की स्थिति, पुलिस पदाधिकारियों के कार्यों का प्रदर्शन की समीक्षा करेंगे।
इधर, एडीजी (मुख्यालय) कुंदन कृष्णन को पटना का नोडल अधिकारी बनाया गया है। प्रभारी अफसर अत्यधिक अपराधों वाले थानों की समीक्षा कर कारणों की तलाश, जिला स्तर पर लंबित मामलों की स्थिति, कुख्यात या टॉप-10 अपराधियों की सूची में गिरफ्तार हुए अपराधियों का आंकड़ा, नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सल विरोधी कार्यों की समीक्षा कर कार्रवाई की स्थिति समेत ऐसे अन्य सभी बिन्दुओं पर समीक्षा करके रिपोर्ट तैयार करेंगे। ये अधिकारी अपने प्रभारी वाले जिले की समुचित पुलिसिंग और अपराध नियंत्रण की स्थिति की मॉनीटरिंग भी करेंगे।