भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती आज, प्रधानमंत्री मोदी समेत तमाम दिग्गजों ने किया याद
भारत की भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की जयंती पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तमाम दिग्गजों ने उन्हें याद किया है। माइक्रो ब्लॉगिंग साइट एक्स के जरिए पीएम मोदी ने श्रद्धांजलि अर्पित की तो वहीं सांसद राहुल गांधी समेत तमाम नेता-कार्यकर्ता शक्ति स्थल पहुंचे। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पीएम मोदी ने लिखा, “भारत की पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि।”
आज 19 नवंबर को पूरा देश इंदिरा गांधी को याद कर रहा है। कांग्रेस पार्टी ने एक्स पोस्ट पर लिखा, “साहस, शक्ति, समर्पण और संकल्प की पर्याय, भारत की प्रथम महिला प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की जयंती पर नमन। इंदिरा गांधी शक्ति और लचीलेपन का प्रतीक थीं। उनके परिवर्तनकारी नेतृत्व ने भारत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया, बाधाओं को तोड़ा और भारत के भविष्य को आकार दिया। हम इंदिरा गांधी को अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं, जिनकी देशभक्ति और राष्ट्र के प्रति समर्पण लाखों लोगों को प्रेरित करता है।”
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने लिखा, “करोड़ों भारतीय ‘भारत की लौह महिला’ श्रीमती इंदिरा गांधी के जीवन से प्रेरणा लेते रहेंगे। इंदिरा गांधी आजीवन संघर्ष, साहस और गतिशील नेतृत्व की प्रतीक थीं, जिन्होंने निस्वार्थ भाव से राष्ट्र निर्माण में योगदान दिया। उन्होंने भारत की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। उनकी जयंती पर हमारी विनम्र श्रद्धांजलि।”
इंदिरा गांधी की जयंती के अवसर पर उनकी समाधि स्थल ‘शक्ति स्थल’ पर श्रद्धांजलि देने के लिए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत तमाम कांग्रेस नेता और कार्यकर्ता पहुंचे और भूतपूर्व पीएम को नमन किया।
देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के घर इलाहाबाद (वर्तमान प्रयागराज) में 19 नवंबर 1917 को जन्मी इंदिरा गांधी जनवरी 1966 से मार्च 1977 तक और फिर जनवरी 1980 से अक्टूबर 1984 तक (हत्या होने तक) देश की प्रथम और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं। जवाहरलाल नेहरू के बाद इंदिरा गांधी भारत की दूसरी सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली प्रधानमंत्री थीं।
उनके कुछ फैसले विवादित भी रहे। प्रधानमंत्री के रूप में उनकी सिफारिश पर देश में लगाए गए आपातकाल को उन्हीं फैसलों में गिना जाता हैं, जिसकी वजह से उन्हें अपनी सत्ता से भी हाथ धोना पड़ा। एक अन्य विवादित फैसला उनकी मौत की वजह बना। जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में सैन्य कार्रवाई के बाद 31 अक्टूबर 1984 को अकबर रोड स्थित सरकारी आवास पर उनके ही अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
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