पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने बिहार के नवनियुक्त महामहिम राज्यपाल डॉ. आरिफ मोहम्मद खान का केरल से बिहार आगमन पर अपने निजी आवास, पटना में रात्रिभोज के लिए आमंत्रित कर आत्मीय स्वागत किया। राज्यपाल महोदय ने इस अवसर पर अपनी उपस्थिति से सभी को अभिभूत कर दिया। अश्विनी कुमार चौबे ने हृदय से उनका अभिनंदन किया और बाल गंगाधर द्वारा लिखित गीता के सारांश की पुस्तक उन्हें भेंट की, साथ ही इसे पढ़ने का आग्रह किया।
इस अवसर पर चर्चा के दौरान अंग प्रदेश भागलपुर के विकास और उसकी विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान को लेकर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।
विक्रमशिला विश्वविद्यालय: श्री चौबे ने विक्रमशिला विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने की दिशा में हो रही देरी का मुद्दा उठाया। उन्होंने राज्यपाल महोदय से नालंदा विश्वविद्यालय के तर्ज पर भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया को पूरा कर विश्वविद्यालय के कार्य को गति देने का आग्रह किया।
भागलपुर की पहचान: भागलपुर के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों जैसे बटेश्वर स्थान, बाबा बूढ़ानाथ, भागलपुर सिल्क, जर्दालू आम, कतरनी चूड़ा, और कतरनी चावल पर विशेष चर्चा की गई।
मंदार पर्वत: बांका जिले के मंदार पर्वत का विशेष उल्लेख करते हुए श्री चौबे ने इसकी धार्मिक और ऐतिहासिक महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि स्कंद पुराण में वर्णित इस पर्वत पर 66,000 वर्षों तक मंडारेश्वर काशी विश्वनाथ महादेव ने तपस्या की थी। उन्होंने मंदार पर्वत पर एक भव्य मंदिर निर्माण की योजना का प्रस्ताव रखा और महामहिम को वहां दर्शन करने का निमंत्रण दिया।
श्री चौबे ने इस दौरान अपने तीन प्रमुख संकल्पों को भी साझा किया:
- बक्सर में भगवान श्रीराम की विशाल प्रतिमा का निर्माण।
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सीतामढ़ी में मां जानकी की भव्य प्रतिमा और 51 शक्तिपीठों का निर्माण।
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मंदार पर्वत पर मंडारेश्वर काशी विश्वनाथ का भव्य मंदिर निर्माण।
राज्यपाल डॉ. आरिफ मोहम्मद खान ने इन सभी विषयों पर गहरी रुचि दिखाई और बिहार की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित व विकसित करने के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की।