नीतीश सरकार ने चार जजों को जबरन रिटायर कर दिया है. इनमें से दो न्यायाधीश विभिन्न आरोपों सस्पेंड थे. इस संबंध में सामान्य प्रशासन विभाग की तरफ से अधिसूचना जारी कर दी गई है. पटना उच्च न्यायालय के महानिबंधक ने इस संबंध में 5 फरवरी 2025 को राज्य सरकार से अनुशंसा किया था. इस आलोक में सरकार ने चारों न्यायाधीशों को अनिवार्य सेवानिवृत कर दिया है.
इन जजों को किया गया जबरन रिटायर
जिन न्यायिक पदाधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है, उनमें सुपौल के निलंबित प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र कुमार, भोजपुर के प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय त्रिलोकी दुबे, सारण के अपर सत्र न्यायाधीश अरुण कुमार-1(निलंबित) हैं. वहीं पूर्वी चंपारण के जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश अवधेश कुमार शामिल हैं.
तीन महीने का वेतन-भत्ता देकर किया गया अनिवार्य सेवानिवृत
चार न्यायिक पदाधिकारी को 3 महीने का वेतन और अन्य भत्ते का अग्रिम भुगतान कर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गई है. दो न्यायिक प्राधिकारी धर्मेंद्र कुमार जायसवाल एवं अरुण कुमार-1 जो निलंबित हैं, का निलंबन आदेश अनिवार्य सेवा निवृत्ति की तिथि से स्वतः समाप्त हो जाएगा.