एफपीआई ने इस साल अब तक देश में 1.71 लाख करोड़ रुपये से अधिक का किया निवेश, आईपीओ में उछाल
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने वित्त वर्ष 2023-24 में भारत में शुद्ध रूप से 3,39,066 करोड़ रुपये का निवेश किया था जो देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है। सरकार के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में एफपीआई ने अब तक 1,71,248 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है।
एनएसडीएल के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने इस महीने (26 सितंबर तक) भारतीय इक्विटी में 48,822 करोड़ रुपये की लिवाली की है।
हाल ही में अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती से उत्साहित होकर एफपीआई लगातार बाजार में लिवाल बने हुए हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत का तेजी से बढ़ता आईपीओ बाजार इसकी आर्थिक मजबूती का भी प्रमाण है, क्योंकि हुंडई और एलजी जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अब देश में सूचीबद्ध होने का विकल्प चुन रही हैं।
वित्त वर्ष 2023-24 में आईपीओ की संख्या 66 प्रतिशत बढ़कर 272 हो गई। यह वित्त वर्ष 2022-23 में 164 थी। इसी अवधि के दौरान आईपीओ से जुटाई गई राशि 24 प्रतिशत बढ़कर 54,773 करोड़ रुपये से 67,995 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के अनुसार, सितंबर में आईपीओ की संख्या 14 साल का रिकॉर्ड तोड़ने वाली है।
यह बदलाव वैश्विक वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र में भारत के बढ़ते महत्व की पुष्टि करता है।
सीधे तौर पर खरीदारी का विकल्प चुनने की बजाय ये कंपनियां भारत के अनूठे कारोबारी माहौल में सहयोग के रणनीतिक मूल्य को पहचानते हुए स्थानीय कंपनियों के साथ तेजी से साझेदारी की तलाश कर रहे हैं।
मंत्रालय ने कहा, “यह प्रवृत्ति वैश्विक व्यापार रणनीतियों को आकार देने में एक बाजार से एक महत्वपूर्ण भागीदार बनने तक भारत के विकास को दर्शाती है, जिससे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इसकी भूमिका और मजबूत हुई है।”
जेपी मॉर्गन के सीईओ जेमी डिमन ने हाल ही में कहा था कि भारत अपने जनसांख्यिकीय लाभ और वैश्विक अर्थव्यवस्था में रणनीतिक स्थिति के कारण अगले 30 साल तक निरंतर विकास के लिए तैयार है।
डिमन ने कहा कि भारत की विकास क्षमता इसकी तरलता और मूल्यांकन की गतिशीलता से जटिल रूप से जुड़ी हुई है।
दुनिया के चौथे सबसे बड़े शेयर बाजार के साथ भारत में दैनिक औसत नकदी-व्यापार का स्तर कोरोना काल से पहले के स्तर से तीन गुना बढ़ गया है।
मंत्रालय के अनुसार, यद्यपि विदेशी पोर्टफोलियो में हाल ही में मंदी देखी गई है, लेकिन भारत के उच्च रिटर्न वाले बाजार और मजबूत विकास क्षमता निवेशकों को आकर्षित कर रही है।
जेपी मॉर्गन के पूंजी बाजार के वैश्विक प्रमुख केविन फोले ने कहा कि उच्च तरलता के कारण खुदरा क्षेत्र की खरीदारी में और अधिक विदेशी निवेश आने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि युवा आबादी, फलती-फूलती डिजिटल अर्थव्यवस्था और बढ़ते विनिर्माण आधार के साथ भारत अपनी युवा आबादी के कारण लाभ की स्थिति में है और सतत आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के लिए नवाचार को अपना रहा है।
इसमें कहा गया है कि देश की विविध क्षमताएं सेवा, विनिर्माण और प्रौद्योगिकी सहित अनेक उद्योगों में फैली हुई हैं, जो विकास के लिए व्यापक अवसर प्रदान करती हैं।
Discover more from Voice Of Bihar
Subscribe to get the latest posts sent to your email.