एक समय में रामचंद्र प्रसाद सिंह यानी आरसीपी सिंह जनता दल यूनाइटेड में ‘आरसीपी सिंह सर’ के नाम से जाने जाते थे. हालांकि यह बात पुरानी हो चुकी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी के बाद उन्हें अपमानित होकर जेडीयू छोड़ना पड़ा. बीजेपी की सदस्यता भी ग्रहण की लेकिन काम नहीं मिलने के कारण पिछले डेढ़ सालों से वह सियासी गुमनामी भरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं. हालांकि बीजेपी से निराश होकर वह अब नए सिरे से अपनी राजनीति को शुरू करने जा रहे हैं।
समर्थकों के साथ मिलकर बनाएंगे रणनीति: आरसीपी सिंह लंबे समय तक नालंदा स्थित अपने पैृतक गांव मुस्तफापुर में ही डेरा डाले हुए थे. लोकसभा चुनाव के दौरान भी वह घर पर ही रहे लेकिन अब पटना को अपनी सियासत का केंद्र बिंदु बनाना चाहते हैं. उन्होंने नया फ्लैट ले लिया है, जल्द ही अपना कार्यालय भी खोलेंगे. इसके साथ ही वह बिहार का भ्रमण करेंगे और अपने समर्थकों से मिलेंगे. माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी बनाकर उम्मीदवार भी उतारेंगे. हालांकि यह सब अभी प्रारंभिक दौर में है. वैसे उनका रुख जेडीयू के साथ-साथ बीजेपी की भी बेचैनी बढ़ा सकता है।
‘बिहार की तरक्की मेरा लक्ष्य’: पटना वापसी के साथ ही वह लगातार मीडिया को इंटरव्यू भी दे रहे हैं. बातचीत में वह बिहार की समस्या और विकास की चर्चा करते हैं. उनके निशाने पर केंद्र और राज्य की सरकार भी है. आरसीपी सिंह ने बिहार के पिछड़ेपन को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि वह किसी के खिलाफ बात नहीं करेंगे, सिर्फ बिहार के हित की बात करेंगे. आरसीपी ने उद्योग-धंधों को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि आज देश में सेमी कंडक्टर के जमाने में देश में तीन यूनिट लग रही हैं, उसमें दो गुजरात में लग रही है. बिहार के 40 सांसद हैं और यूपी में 80 सांसद हैं तो प्रधानमंत्री को बिहार-यूपी याद नहीं आ रही है, ये बिहार कभी बर्दाश्त नहीं करेगा।
“मैं अपनी तरफ से किसी से रिश्ता तोड़ता नहीं हूं. मेरा शुरू से स्वभाव रहा है जोड़ने का. जहां-जहां हमारे साथी बुलाएंगे, वहां-वहां मैं जाऊंगा लेकिन कोई राजनीतिक बात नहीं करूंगा. बिहार के सामने इतने मुद्दे हैं, जिन पर चर्चा होनी चाहिए. आज देखिये बिहार में एनडीए की सरकार और केंद्र में भी एनडीए की सरकार है. इससे बढ़िया स्वर्णिम अवसर तो संभव ही नहीं.”- आरसीपी सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री
बीजेपी से आरसीपी सिंह निराश: आरसीपी सिंह ने जेडीयू छोड़ने के बाद 2023 में बीजेपी की सदस्यता ली थी. इस उम्मीद से वह बीजेपी में आए थे कि नालंदा से लोकसभा का चुनाव लड़ेंगे और कुर्मी वोट बैंक को साधने के लिए बीजेपी की मदद करेंगे लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार की एनडीए में फिर से वापसी हो गई. ऐसे में आरसीपी सिंह का मंसूबा अधूरा रह गया. इसकी वजह भी स्पष्ट है कि आरसीपी सिंह को 2022 में किस परिस्थिति में जेडीयू छोड़ना पड़ा था. नीतीश कुमार से उनकी नाराजगी जगजाहिर है. वहीं, जेडीयू छोड़ने के बाद नीतीश कुमार के खिलाफ वह लगातार तल्ख बयान भी देते रहे हैं।
क्या अपनी पार्टी बनाएंगे आरसीपी सिंह?: नीतीश कुमार की एनडीए में वापसी के बाद बीजेपी के लिए आरसीपी सिंह की प्रासंगिकता कुछ भी नहीं रह गई. यही वजह रही कि आरसीपी सिंह को न तो टिकट मिला और न ही बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के दौरान चुनाव प्रचार में लगाया. करीब डेढ़ साल तक शांत बैठने के बाद आखिरकार आरसीपी सिंह अब राजनीति में फिर से अपनी सक्रियता दिखाना चाह रहे हैं. चर्चा है कि आरसीपी सिंह आने वाले दिनों में अपनी नई पार्टी बनाएंगे।
जेडीयू ने साधा आरसीपी पर निशाना?: आरसीपी सिंह के पार्टी बनाने और विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने से क्या जेडीयू को नुकसान होगा? इस सवाल पर जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार कहते हैं कि जब तेजस्वी यादव का कोई असर नहीं हुआ तो आरसीपी सिंह से क्या होगा. उन्होंने निशाना साधते हुए कहा कि जिसने भी नीतीश कुमार के साथ विश्वासघात किया है, उसका सियासी तौर पर पतन हो गया है।
“जिसने भी नीतीश कुमार के साथ विश्वासघात किया है, जनता की नजर में तो गिरता ही है. यह परंपरा रही है कि वैसे नेताओं की राजनीति में अवसान शुरू हो जाता है. अब कोई राजनीतिक दल बना ले या कुछ और कर ले, कुछ होने वाला नहीं है. जब तेजस्वी यादव का कोई असर नहीं हुआ तो और किसी का असर क्या होगा.”- नीरज कुमार, मुख्य प्रवक्ता, जेडीयू
आरसीपी पर क्या बोली बीजेपी?: तकनीकी तौर पर अभी भी आरसीपी सिंह भारतीय जनता पार्टी के प्राथमिक सदस्य हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि गठबंधन में रहते हुए वह कैसे नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल सकते हैं. अगर वह नीतीश के खिलाफ सियासत करना चाहते हैं तो उनको बीजेपी छोड़ना होगा. इस बारे में पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता रामसागर सिंह कहते हैं, ‘आरसीपी सिंह बीजेपी में हैं और बीजेपी में ही रहेंगे. उनकी सोच एनडीए की विचारधारा वाली है. ऐसे में उनका कहीं और जाने का सवाल ही नहीं उठता।
किसका खेल बिगाड़ेंगे आरसीपी सिंह?: जेडीयू में रहते हुए संगठन को मजबूत करने वाले आरसीपी सिंह क्या मास लीडर के तौर पर अपनी छवि बना सकते हैं. अगर वह अपनी पार्टी बना भी लेते हैं तो वह कितना कामयाब होंगे? ऐसे कई सवाल हैं. सबसे अहम तो ये कि वह किसका खेल खराब करेंगे. हालांकि सियासत को समझने वाले कहते हैं कि जनता में उनका बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं है. इसलिए बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार को वह ज्यादा नुकसान पहुंचाएंगे, इसकी संभावना कम है लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव है।
“आरसीपी सिंह संगठन के आदमी रहे हैं. कार्यकर्ताओं में उनकी मजबूत रही है लेकिन वह जनाधार वाले नेता नहीं है. ऐसे में वह बहुत ज्यादा नीतीश कुमार को डैमेज कर पाएंगे, इसकी संभावना कम है लेकिन राजनीति में कुछ भी संभव नहीं है. आने वाले समय में देखना होगा कि वह किसी रणनीति के साथ काम करते हैं और किन नेताओं और दलों के साथ गठबंधन करते हैं.”- प्रो. अजय झा, राजनीतिक विशेषज्ञ
कब आए नीतीश के करीब?: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा से आने वाले आरसीपी सिंह भी कुर्मी जाति से ताल्लुक रखते हैं. वह उत्तर प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी रहे हैं. नीतीश कुमार से उनकी पहली मुलाकात 1996 में हुई थी. उस समय आरसीपी सिंह तत्कालीन केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा के निजी सचिव हुआ करते थे. नीतीश कुमार और आरसीपी सिंह की मुलाकात बेनी प्रसाद वर्मा ने ही करवाई थी और फिर दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ने लगी. जब केंद्र में रेल मंत्री बने तो आरसीपी सिंह उनके विशेष सचिव बन गए. 2005 में नीतीश कुमार जब बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने आरसीपी सिंह को अपना प्रधान सचिव बनाया।
नौकरी छोड़कर राजनीति में ली एंट्री: आरसीपी सिंह ने 2010 में आईएएस की नौकरी से ऐच्छिक सेवानिवृति (वीआरएस) लेकर राजनीति में प्रवेश किया. जेडीयू में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार ने उनको राज्यसभा भेज दिया. आरसीपी सिंह 2010 से 2022 तक जनता दल यूनाइटेड के राज्यसभा सांसद रहे. 2020 में नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह को जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बना दिया।
‘मोदी प्रेम’ में नीतीश से आरसीपी की दूरी: नरेंद्र मोदी सरकार में 2021 में केंद्रीय मंत्री बनने की जिद के कारण उनकी और नीतीश कुमार के बीच केमिस्ट्री बिगड़ गई थी. जिस वजह से उनको 2022 में जेडीयू छोड़ना पड़ा. जेडीयू छोड़ने के कई महीने बाद मई 2023 में आरसीपी सिंह बीजेपी में शामिल हो गए. तब से बीजेपी में ही हैं लेकिन अब बीजेपी से भी उनका मोह भंग हो गया है।
जेडीयू में वापसी की अटकलबाजी पर विराम: हालांकि एक समय चर्चा यह भी थी कि आरसीपी सिंह फिर से नीतीश कुमार के पास लौटना चाहते हैं. इसके लिए प्रयास भी कर रहे हैं लेकिन नीतीश कुमार ने कोई रिस्पांस नहीं दिया. इसके इतर नीतीश कुमार ने आरसीपी सिंह के स्थान पर पूर्व आईएएस अधिकारी मनीष वर्मा को अपनी पार्टी में शामिल कराकर उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाकर आरसीपी सिंह को मैसेज दे दिया. इसी के बाद आरसीपी सिंह अपनी सक्रियता दिखाने का मन बना लिया है. हालांकि उन्हें कितनी सफलता मिलती है, यह देखने वाली बात होगी।