विश्लेषक कहते हैं पक्ष (राजग) व विपक्ष (आइएनडीआइए) के मंझे खिलाड़ियों ने पवन सिंह की अनदेखी जानबूझकर की है ताकि उन्हें या उनके पक्ष के लोगों को जवाब देने का अवसर ही नहीं मिले। वे क्रिकेट के बारहवें खिलाड़ी की तरह बने रह जाएं। इधर पवन की जनसभाओं में उमड़ रही भीड़ बता रही है कि वे काराकाट में लड़ाई का त्रिकोण बना रहे हैं।
राजनीति के रंग निराले हैं, प्रचार एक दिमागी खेल की तरह भी है। यह काराकाट लोकसभा क्षेत्र में कुछ ज्यादा ही देखने को मिला।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोजपा (रा) अध्यक्ष चिराग पासवान से लेकर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, भाकपा माले के महासचिव दीपंकर भट्टाचार्य तक ने जनसभाएं कीं, परंतु किसी ने संबोधन में यहां से निर्दलीय प्रत्याशी भोजपुरी फिल्मों के स्टार पवन सिंह का नाम तक नहीं लिया, उन पर कोई आक्षेप लगाना तो दूर की बात है।