बिहार में मानसून सक्रिय है और पिछले दिनों नेपाल के जल ग्रहण क्षेत्र में भी काफी बारिश हुई है. इसका असर बिहार की नदियों के जलस्तर पर भी पड़ा है. कई नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और कई नदियां खतरे के निशान से भी ऊपर बह रही हैं. जिस वजह से बिहार में बाढ़ को लेकर चिंता बढ़ गई है. कई जगहों पर लोग पलायन को मजबूर हैं।
बिहार में नदियों का जलस्तर बढ़ा: केंद्रीय जल आयोग के अनुसार गंडक नदी गोपालगंज के डुमरिया घाट में 116 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर है. बागमती नदी मुजफ्फरपुर जिले के बेनीबाद में 81 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर है. कोसी नदी खगड़िया के बलतारा में खतरे के निशान से 81 सेंटीमीटर ऊपर है. महानंदा नदी पूर्णिया जिले के ढेंगरा घाट में 110 सेंटीमीटर खतरे के निशान से ऊपर है. महानंदा नदी कटिहार के झावा में खतरे के निशान से 32 सेंटीमीटर ऊपर है. परमान नदी अररिया में खतरे के निशान से 45 सेंटीमीटर ऊपर है. कई नदियों में जलस्तर में और वृद्धि होने के संकेत हैं तो कुछ में जलस्तर घट भी सकता है।
लगातार बारिश से बाढ़ का खतरा बढ़ा: उधर, मौसम विभाग के अनुसार कोसी, महानंदा, बागमती, अधवार और गंडक नदियों के जल ग्रहण क्षेत्र में साधारण से माध्यम बारिश होने की संभावना है. पिछले 24 घंटे के दौरान बिहार में कई इलाकों में 50 मिली मीटर से ऊपर बारिश रिकार्ड की गई है. अररिया में 58 मिलीमीटर 60 में 87 मिली मीटर तैयबपुर में 84 मिली मीटर, रीता में 60 मिली मीटर, चरघरिया में 70 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है।
गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से नीचे: वहीं, अगर गंगा के जलस्तर की बात करें तो दीघा घाट पर खतरे का निशान 50.45 मीटर है, जबकि अभी 46.66 मीटर तक पानी पहुंचा है. गांधी घाट पर खतरे के निशान (48.60) से थोड़ा ही कम 46.35 मीटर तक जलस्तर पहुंच चुका है. हाथीदह में खतरे के निशान 41.76 से कम यानी 38.11 मीटर है. मुंगेर में भी खतरे के निशान 39.33 से कम 33.83 मीटर तक पानी पहुंचा है. भागलपुर की बात करें तो वहां खतरे के निशान 33.68 मीटर से नीचे 28.20 मीटर तक पानी है, जबकि फरक्का में खतरे के निशान (22.25) से कम 18.18 मीटर तक जलस्तर है।