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बिहार में गंगा का जल नहाने लायक नहीं, आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 में बड़ा खुलासा

ByKumar Aditya

मार्च 3, 2025
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पटना: बिहार में गंगा नदी का पानी अधिकांश जगहों पर नहाने योग्य नहीं है। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 (Economic Survey 2024-25) में यह चौंकाने वाला खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, गंगा जल में बैक्टीरिया (High Bacterial Population) की उच्च मात्रा के कारण जल अशुद्ध हो चुका है। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (BSPCB) हर पखवाड़े राज्य में 34 स्थानों पर गंगा के पानी की गुणवत्ता की निगरानी करता है।

बैक्टीरिया की वजह से गंगा जल अशुद्ध

हाल ही में विधानसभा में पेश रिपोर्ट के अनुसार, गंगा के पानी में कोलीफॉर्म (Coliform) और फीकल कोलीफॉर्म (Fecal Coliform) की अधिक मात्रा पाई गई है। यह मुख्य रूप से गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे शहरों से सीवरेज/घरेलू अपशिष्ट (Sewage Waste) के गंगा में प्रवाहित होने के कारण हुआ है।

खेती और मत्स्य पालन के लिए पानी उपयुक्त

रिपोर्ट में बताया गया कि अन्य पैरामीटर, जैसे पीएच (pH), घुलित ऑक्सीजन (Dissolved Oxygen) और जैव-रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) निर्धारित सीमा के भीतर हैं। इससे संकेत मिलता है कि गंगा जल कृषि (Irrigation), जलीय जीवन और मत्स्य पालन (Aquatic Life & Fishing) के लिए उपयुक्त है। गंगा के किनारे बसे प्रमुख शहरों में बक्सर, छपरा, सोनपुर, दानापुर, पटना, बेगूसराय, भागलपुर, मुंगेर आदि शामिल हैं।

गंगा में प्रदूषण का बढ़ता स्तर

बीएसपीसीबी (BSPCB) के अध्यक्ष डीके शुक्ला के अनुसार, गंगा में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया (Fecal Coliform Bacteria) की अधिकता चिंता का विषय है। ये बैक्टीरिया मल-मूत्र के माध्यम से जल को दूषित करते हैं। सीपीसीबी (CPCB) के मानकों के अनुसार, फीकल कोलीफॉर्म की अनुमेय सीमा 2,500 एमपीएन/100 मिली होनी चाहिए, लेकिन बिहार के कई स्थानों पर यह सीमा पार कर चुकी है।

गंगा किनारे बैक्टीरिया का खतरनाक स्तर

बीएसपीसीबी के अनुसार, राज्य में कई स्थानों पर फीकल कोलीफॉर्म का स्तर 3,500 से 5,400 एमपीएन/100 मिली तक पहुंच चुका है। प्रमुख स्थानों पर स्थिति इस प्रकार है:

  • कच्ची दरगाह-बिदुपुर ब्रिज: 3,500 एमपीएन/100 मिली
  • गुलाबी घाट: 5,400 एमपीएन/100 मिली
  • त्रिवेणी घाट: 5,400 एमपीएन/100 मिली
  • गायघाट: 3,500 एमपीएन/100 मिली
  • केवाला घाट: 5,400 एमपीएन/100 मिली
  • गांधी घाट, एनआईटी: 3,500 एमपीएन/100 मिली
  • हाथीदह: 5,400 एमपीएन/100 मिली

सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर जोर

बीएसपीसीबी के अनुसार, राज्य में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के बेहतर संचालन के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि निर्माणाधीन एसटीपी जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि गंगा जल की गुणवत्ता में सुधार हो सके।

गंगा का जल प्रदूषित, निगरानी जारी

बीएसपीसीबी औद्योगिक इकाइयों और सीवरेज नालों से निकलने वाले अपशिष्ट पर भी कड़ी निगरानी रख रहा है। अब तक 2,561 जल/अपशिष्ट/सीवेज नमूने (Water Samples) एकत्र किए जा चुके हैं। रिपोर्ट में गंगा जल की बिगड़ती गुणवत्ता पर चिंता जताई गई है, जिससे साफ है कि बिहार में गंगा का जल अब नहाने योग्य नहीं रह गया है।


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