कचरा साफ करने वाले पति ने बीवी को पढा लिखाकर SDM बनाया, अफसर बनते पत्नी ने धोखा दे दिया
आपको अमिताभ बच्चन का सूर्यवंशम फिल्म याद है. वही फिल्म जो सप्ताह में कम से कम दो से तीन बार सेट मैक्स पर दिखाया जाता है. फिल्म में अमिताभ बच्चन डबल रोल में नजर आते हैं. एक पिता के रूप में और दूसरा हीरा ठाकुर नामक पुत्र के रूप में. अभिनेत्री को अनपढ़ हीरा ठाकुर से प्यार हो जाता है और वह उससे परिवार वालों के विरुद्ध जाकर शादी कर लेती है. बाद में परिवार चलाने के लिए हीरा ठाकुर बस डिपो में मजदूरी का काम करता है और अपनी पत्नी को पढ़ा लिखा कर डीएम बनाते है. लेकिन रियल लाइफ में एक पत्नी ने अफसर बनने के बाद अपने पति को इसलिए छोड़ने का फैसला कर लिया क्योंकि उसका पति D ग्रेड का एक सफाई कर्मचारी है. इस घटना के बाद कुछ लोग पत्नी का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ लोग पति का. पत्नी का कहना है कि पति ने शादी के समय हमारे परिवार से झूठ कहा था कि वह एक अफसर है. जब मेरी नौकरी लगी तब मुझे पता चला कि वह एक सफाई कर्मी है।
राघव त्रिवेदी अपने फेसबुक पोस्ट में लिखते हैं कि पति ने बीवी को पढा लिखाकर SDM बनाया और SDM बनते ही उसे धोखा दे दिया…..इस स्टोरी को लिखने वाले लोग भी इसी समाज के हैं जिसपर ये बीता वो भी इसी समाज का है और इसपर टिप्पणी करने वाले लोग भी इसी समाज के हैं …..
मगर सवाल ये था ही नहीं सवाल स्वीकार्यता का है अगर कोई आपके साथ नहीं रहना चाहता तो उसे जाने देना चाहिए और यदि आप भी किसी के साथ नहीं रहना चाहते तो आपको भी चले जाना चाहिए….
कुछ भी अचानक नहीं होता है जिससे आप आश्चर्यचकित रह जाये, कोई आपसे जुड़ता है तो भी वक्त लगता है और कोई आपसे अलग होता है तो भी उसके अलग होने के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।
पति और पत्नी से अलग इस खबर को स्त्री और पुरुष के नज़रिए से देखा जाना चाहिए।
धोखा देना मनुष्य का स्वभाव है बस इसकी गरिमा तब तक है जब तक ये आपकी आँखों के सामने न हो, जैसे ऑटो वाला मीटर से धोखा देता है सब्जी वाला बासी को ताज़ी बताकर बेचता है, बेकार से बेकार प्रोडक्ट को भी सर्वश्रेष्ठ बताकर बेचा जाता है और स्नेह को भी नाटकीयता में परोसा जाता है।
किसी के साथ रहो तो ऐसे जैसे बारिश में छाता क्योंकि उपयोगिता स्माप्त होने के बाद तुम्हें मोडकर किसी कोने में रखा ही जायेगा तो ये व्यर्थ का विलाप क्यों…?
अंधा व्यक्ति जिस छडी के सहारे चलता है आंखें मिलते ही सबसे पहले उसे छोड़ता है और यही नियति है किसी एक रिश्ते के भरोसे न तो जीवन कट सकता है और न ही दिन …….
बस दुःख इस बात है कि इस कहानी में भी लोग पितसत्ता पर सवाल उठा रहे हैं जबकि यहां सत्ता नहीं भावनाओं के सुनामी का समंदर है….
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