बिहार के खनन विभाग में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। गया जिले के तत्कालीन खनिज विकास पदाधिकारी (DMO) पर बालू माफियाओं के साथ साठगांठ कर 31 करोड़ रुपये के जुर्माने को मात्र 32 लाख में निपटाने का आरोप लगा है। मामले के खुलासे के बाद राज्य की राजनीति और प्रशासन में हलचल मच गई है।
DMO और बालू माफियाओं की साठगांठ उजागर
डिप्टी सीएम और खनन मंत्री विजय कुमार सिन्हा के निर्देश पर जब जांच कराई गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। खनन विभाग के अनुसार, गया के चार प्रमुख बालूघाटों पर तय सीमा से अधिक खनन के चलते 31 करोड़ से अधिक का जुर्माना प्रस्तावित था। लेकिन गया के तत्कालीन DMO ने इस राशि को घटाकर केवल 32 लाख 87 हजार रुपये कर दिया।
जानिए कौन से घाट और कितना जुर्माना घटाया गया:
घाट का नाम | प्रस्तावित जुर्माना | संशोधित जुर्माना |
खिजरसराय (क्लस्टर 22) | ₹19.35 करोड़ | ₹6.81 लाख |
बैजूधाम (क्लस्टर 45) | ₹8.14 करोड़ | ₹11.58 लाख |
बनाही-महुआमा (क्लस्टर 33) | ₹3.28 करोड़ | ₹8.14 लाख |
विष्णुविगहा (क्लस्टर 29) | ₹48.83 लाख | ₹6.31 लाख |
कुल घोटाला: ₹31.26 करोड़ से घटाकर ₹32.87 लाख
DMO को नहीं था जुर्माना घटाने का अधिकार
डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि जुर्माने में बदलाव का अधिकार केवल जिला समाहर्ता को है, लेकिन तत्कालीन DMO ने बिना किसी अधिकृत प्रक्रिया के यह भारी संशोधन कर डाला। ना कोई रिव्यू कमिटी बनी, ना ही कोई संतुलन या आधार प्रस्तुत किया गया। यह सीधा-सीधा आर्थिक घोटाला और आपराधिक कृत्य है।
30.68 करोड़ की वसूली का आदेश जारी
जांच के बाद खान आयुक्त की अदालत ने पहले से प्रस्तावित जुर्मानों की वसूली का आदेश जारी कर दिया है:
- जय भगवती माइन्स (खिजरसराय) – ₹19.35 करोड़
- रंजीत कुमार (बैजूधाम) – ₹7.35 करोड़
- मल्लिक ट्रांसपोर्ट (बनाही-महुआमा) – ₹3.49 करोड़
- रामजी प्रसाद सिन्हा (विष्णुविगहा) – ₹48.83 लाख
कुल वसूली राशि: ₹30 करोड़ 68 लाख 16 हजार 111 रुपये
जांच के बाद विभागीय कार्रवाई शुरू
खनन विभाग ने DMO के खिलाफ विभागीय और कानूनी कार्रवाई की सिफारिश कर दी है। यह मामला न सिर्फ राज्य राजस्व को नुकसान पहुंचाने का है, बल्कि खनन माफियाओं को संरक्षण देने जैसा गंभीर आरोप भी इसमें सामने आया है।