गया की महिला MLA ज्योति देवी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में चलाती हैं दुकान, सैंकड़ों महिलाओं को बना चुकी हैं आत्मनिर्भर
बिहार की महिला MLA ज्योति देवी अपने कुछ खास कामों को लेकर चर्चा में हैं. बिहार के गया जिले के बाराचट्टी की MLA ज्योति देवी महिला को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कई काम कर रही हैं. खास यह भी है कि महिलाओं की मजबूती के लिए यह दुकान भी चलाती हैं.ज्योति देवी बिहार में हम पार्टी से MLA हैं. यह दुकान भी चलाती है. दुकान इसलिए चलाती है, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बने. इस दुकान की बुनियाद उनके बेटे रूपक कुमार और बेटी रूपा कुमारी ने तैयार की.
बाल ज्योति नाम से सेंटर तैयार कर महिलाओं को जोड़ा और इनकी मां ज्योति देवी मार्गदर्शक बनाकर हर तरह से मदद कर रही है. उनकी प्राथमिकता में हजारों महिलाओं को आत्मनिर्भर बना देना है, ताकि वे किसी पर निर्भर ना रहे और खुद की कमाई से घर की खर्च भी चला लें. बाराचट्टी विधानसभा क्षेत्र की विधायक ज्योति देवी इस दुकान में बैठती है और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम करती है. यही वजह है, कि अब तक इनके माध्यम से 500 महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं और सैकड़ो महिलाएं इनसे जुड़ी हुई है और सीख रही है.
पिछड़े इलाके की विधायक हैं ज्योति देवी
बिहार के पिछड़े और नक्सल प्रभावित माने जाने वाले बाराचट्टी की विधायक ज्योति देवी हैं. इस विधानसभा के कई इलाके में बेरोजगारी का दंश आज भी कायम है. किंतु एक बड़ी पहल करते हुए यहां की विधायक ज्योति देवी लगातार काम कर रही है, जिससे आने वाले दिनों में इस क्षेत्र की हजारों युुवतियां और महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ रही हैं. इस विधानसभा के नक्सल प्रभावित इलाके के सैकड़ो महिलाओं को वह ट्रेनिंग भी दे चुके हैं और आत्मनिर्भर भी बन चुकी है।
दुकान भी चलाती हैं और हैंडलूम चलाना सिखाती भी है
महिला विधायक ज्योति देवी बोधगया में बाल ज्योति केंद्र में रुक कर न सिर्फ दुकान को चलाती है, बल्कि हैंडलूम चलकर महिलाओं को कालीन बनाने के गुर भी सिखाती हैं. वहीं, बांस के सामान बनाकर कैसे महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ेगी इसका प्रशिक्षण भी वे देती है. उनके इस तरह से प्रोत्साहन से इलाके की महिलाओं में एक नया नई आशा की किरण जगी है, जो कि धीरे-धीरे साकार रूप लेता जा रहा है. फिलहाल में महिलाएं जहां आत्मनिर्भर होकर सामानों को बना रही है. वहीं, उनके बने सामानों को इस केंद्र में खरीद कर उसकी बिक्री बिहार ही नहीं, बल्कि दिल्ली तक की जा रही है.
बेटी भी उद्यमी योजना से ले चुकी है लोन
विधायक का पूरा परिवार सामान्य तौर से जिंदगी व्यतीत करता है और जनता से जुङाव बनाए रखते हैं. यही वजह है, कि उनकी बेटी रूपा कुमारी ने भी मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से लोन लिया है और मां के साथ मिलकर ग्रामीण महिलाओं को जोड़ने का काम कर रही है. पुत्र रूपक कुमार भी महिलाओं के लिए ही काम कर रहे हैं, जबकि दोनों को बड़ी नौकरी और बड़ी पगार मिल सकती थी, लेकिन इन्होंने अपने हुनर को समाज में बांटने का फैसला लिया. विधायक ज्योति देवी के पुत्र रूपक कुमार ने निफ्ट हैदराबाद से फैशन डिजाइनर का कोर्स किया है।
इनकी डिग्री इनकी मां के विधानसभा क्षेत्र की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में काम आ रही है. वहीं, रूपक की बहन रूपा कुमारी ने भी जेएनयू से मास्टर डिग्री हासिल की है. इंटरनेशनल रिलेशंस के कोर्स में मास्टर डिग्री हासिल करने के बाद इन्हें भी लगा कि जाॅब तो मिल जाएगी, लेकिन हमारा पूरा परिवार जब समाज के लिए सोच रहा है, तो वह भी इसी हित में काम करेगी और फिर वह भी अपनी मां के विधानसभा क्षेत्र की इलाकों की महिलाओं से जुड़ गई।
हाथ से बांस के उपयोगी सामान, हैंडलूम- सिलाई मशीन से कालीन, वस्त्र आदि बना रहे
गया के बोधगया में ही विधायक के बेटे द्वारा तैयार किया गया सेंटर चलता है, जिसका नाम बाल ज्योति है. बाल ज्योति इसलिए नाम रखा गया, क्योंकि इनके पिता का नाम बालेश्वर है और ज्योति इसलिए रखा गया, क्योंकि मां का नाम ज्योति देवी है. इस तरह से मां पिता के संस्कार पुत्र रूपक और पुत्री रूप दोनों में इस कदर है, कि इन्होंने महिला हित के काम में अपने मां-बाप के नाम के बैनर से चुनाव और सेंटर शुरू किया.
इस केंद्र में बने सामानों की एक ओर खरीददारी करते हैं और देश भर के मार्केट में इसकी बिक्री की जाती है. विधायक की देखरेख में महिलाओं ने जिस चीज की ट्रेनिंग ली है, उसमें बांस से घरेलू तथा सजावटी सामान शामिल है. सूप,दौरी के अलावे सजावट के व उपयोगी सामान महिलाएं बना रही हैं. वहीं महिलाएं हैंडलूम चलाकर दरी, कालीन, बोधगया में पूजा के लिए बैठने वाले आसन (मैट) को बना रही है. इसके अलावा सिलाई मशीनों से कपड़े भी बनाए जा रहे हैं, जिसमें खादी के वस्त्र आदि शामिल हैं.
विधायक ज्योति देवी खुद बोधगया की दुकान में बैठती हैं. यहां सेंटर में ट्रेनिंग भी देती है तो अपने विधानसभा के सुदूरवर्ती इलाकों जैसे नक्सल प्रभावित हाहेसाड़ी, पतलूका समेत अन्य कई गांव में महिलाओं को ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाया है. इसके लिए समय-समय पर विशेष ट्रेनिंग का कैंप ज्योति देवी के द्वारा लगाया जाता है. वहीं विभिन्न देशों से बोधगया पहुंचने वाले विदेशी महिलाएं भी इसे देखकर काफी प्रभावित होती है और विधायक की तारीफ किए बिना नहीं रह पाती।
विधायक की ट्रेनिंग से आत्मनिर्भर बनी, 15 हजार हर महीने कमा सकती हूं
विधायक की ट्रेनिंग के साथ आत्मनिर्भर बनी गौरी कुमारी बताती है कि हमारे विधायक ने महिलाओं के लिए सोचा है. यही वजह है, कि सैकड़ो महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है. मेरी ही स्थिति यह है कि यहां से ट्रेनिंग लेकर ट्रेंड हो चुकी हूं और 15 हजार रुपए महीने आसानी से कमा सकती हूं. इस तरह की सैकड़ो महिलाएं हैं, जो की आत्मनिर्भर बन चुकी है और बांस या फिर हैंडलूम से सामानों को बना रही हैं।
पेशे से फैशन डिजाइनर हूं
पुत्र रूपक कहते हैं कि निफ्ट हैदराबाद से फैशन डिजाइनर का कोर्स करने के बाद मां का साथ दिया है. किंतु अपनी मां का साथ दे रहा हूं और अपने हुनर को समाज की महिलाओं के बीच बांटने का काम कर रहा हूं, ताकि महिलाए भी आत्मनिर्भर बन सके.
मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से लोन लेकर महिलाओं की मजबूती के लिए कर रही काम
वहीं, विधायक की पुत्री रूपा कुमारी बताती है कि इंटरनेशनल रिलेशंस जेएनयू से किया है. जॉब लग सकती थी, लेकिन पूरे परिवार को समाज के लिए काम करते देखा तो वह भी मां का सहयोग कर रही है. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना से लोन ली है और महिलाओं द्वारा बनाए गए सामानों को खरीद कर उसे बाजारों में बिक्री करती है. यह सामान इतने आकर्षक और उपयोगी है कि पूरे देश में बेचे जा सकते हैं.
सरकार लागू कर दें तो हर महिलाओं के हाथों में होगा रोजगार : विधायक
मेरे पुत्र रूपक और पुत्री रूपा बोधगया में केंद्र चलाते हैं. मैं भी उनका सहयोग करती हूं. दुकान में भी बैठती हूं. यहां हैंडलूम में सीखने के लिए महिलाएं आती है. महिलाओं को सिखाती भी हूं. बांस से सामान बनाने की भी कला दी जाती है. बापूजी का सपना था, खादी का. उन्होंने चरखा चलाया था. चरखा चलाया था, ताकि कम खर्चे में लोगों को बड़ा काम मिल सके,जो रोजगार के रूप में हो.
हालांकि राज्य हो या केंद्र सरकार, दोनों ने इसका पूरे तौर पर लाभ नहीं उठाया है. सरकार अनिवार्य करें ताकि लोग स्वदेशी, खाकी अपना सकें और महिलाओं यानी समाज की आधी आबादी कही जाने वाली नारियों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके. जरूरत है कि सरकारी संस्थाओं के लिए स्वदेशी और खादी को पूरी तरह से लागू कर दिया जाए, ताकि इससे जुड़े लोग इसे अपना सके और बेरोजगार महिलाओं को रोजगार मिल सके.
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