‘जमीन सर्वेक्षण के लिए वंशावली जरूरी नहीं ….’, सरकार का नया आदेश
बिना तैयारी शुरू हुए बिहार के जमीन सर्वे में कब कौन से नियम बदल दिए जाएगें इस बात की जानकारी शायद ही किसी के पास हो। सरकार ने इस सर्वे में अब तक इतने संशोधन किये हैं कि रैयतों को पता ही नहीं चलता कि आखिर करना क्या है? यही कारण है कि पटना जिले में अब तक महज 40 प्रतिशत रैयतों ने आवेदन दिया है। ऐसे में अब अब सरकार की ओर से ताजा संशोधन वंशावली को लेकर है।
दरअसल,सरकार ने पहले वंशावली सरपंच से बनाने को कहा. फिर कहा गया कि वंशावली स्व-लिखित देना है। अब सरकार ने नया संशोधन लाया है। अब जमीन के सर्वेक्षण के लिए वंशावली प्रस्तुत करना अनिवार्य नहीं हैं। वंशावली को लेकर इस भ्रम के कारण पिछले तीन माह में रैयतों के लाखों खर्च हो चुके हैं। एक साल में सर्वे पूरा कर लेने का दावा करनेवाला भू राजस्व विभाग अब तक दो बार समय अवधि बढ़ा चुका है। समय अवधि को लेकर एक बार फिर विभाग ने नया गाइड लाइन जारी किया है।
अब यदि किसी जमीन के दखल या कागजात में गड़बड़ी पाई जाती है, तो संबंधित रैयत को दावा-आपत्ति दर्ज करनी होगी। राजस्व और भूमि सुधार विभाग ने प्रक्रियाओं को सरल और समयबद्ध बनाने के लिए किश्तवार (गांवों का मानचित्र तैयार करना) का समय 30 दिन से बढ़ाकर 90 दिन कर दिया है। खानापुरी पर्चा वितरण का समय 15 दिन से बढ़ाकर 30 दिन, और इस पर दावा-आपत्ति दर्ज करने का समय 30 दिन से बढ़ाकर 60 दिन किया गया है। मार्च 2025 तक सभी नागरिकों को जमीन सर्वेक्षण के लिए आवेदन देना अनिवार्य है। एक अप्रैल से यह सर्वेक्षण धरातल पर शुरू होगा।
मालूम हो कि, पटना जिले में 1511 राजस्व ग्राम हैं। 41 ग्राम टोपोलैंड क्षेत्र में आते हैं और 170 ग्राम नगर निकाय के अंतर्गत हैं। शेष 1300 राजस्व ग्रामों में सर्वे का काम शुरू हो चुका है। पटना जिले के 7 लाख परिवारों से आवेदन अपेक्षित हैं। अब तक करीब 3 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं, जो कुल का 40% है। सर्वे टीम ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों से संपर्क कर आवेदन संख्या बढ़ाने पर काम कर रही है। राजस्व विभाग ने समयसीमा बढ़ाकर प्रक्रियाओं को सरल बनाया है। ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापक जागरुकता अभियान चलाए जा रहे हैं। समय पर आवेदन जमा करना 1 अप्रैल से सर्वेक्षण की सुचारू शुरुआत सुनिश्चित करेगा।नागरिकों की जिम्मेदारी है कि वे आवश्यक जानकारी देकर अपनी जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट कराएं।
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