प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहल पर आयोजित तीसरी ग्लोबल साउथ शिखरवार्ता में विभिन्न देशों के नेताओं ने सुरक्षा परिषद सहित विभिन्न विश्व संस्थाओं को समावेशी बनाने पर जोर दिया तथा आतंरिक मामलों में अन्य देशों के हस्तक्षेप पर चिंता व्यक्त की। विभिन्न देशों के नेताओं ने ग्लोबल साउथ की आवाज बनने पर प्रधानमंत्री मोदी और भारत की पहल की सराहना की। बैठक में गाजा और यूक्रेन के हालात का भी जिक्र हुआ। गाजा में मानवीय त्रासदी पर विशेष रूप से चिंता व्यक्त की गई। इसमें इन देशों ने युद्ध विराम की जरूरत पर बल दिया।
शिखर सम्मेलन में 123 देशों ने लिया हिस्सा
इस शिखर सम्मेलन में 123 देशों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा 21 राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया। 118 मंत्रियों और 34 विदेश मंत्रियों ने हिस्सा लिया। बैठक में चीन और पाकिस्तान को आंमत्रित नहीं किया गया था। बांग्लादेश की ओर से अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस ने पहली बार किसी अंतरराष्ट्रीय आयोजन में भाग लिया।
विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने बैठक के बाद एक प्रेस वार्ता में कहा कि विभिन्न नेताओं ने ज्वलंत अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचार व्यक्त करने के साथ ही अपने देश के हालात का भी जिक्र किया। विदेश मंत्री ने बांग्लादेश के नेता के कथन पर कोई टिप्पणी नहीं की।
प्रेस वार्ता में जयशंकर ने कहा कि बैठक में यह सामान्य भावना थी कि संयुक्त राष्ट्र व्यवस्था में सुधार होना चाहिए। सभी 190 सदस्यों के बीच पूरी तरह सहमति संभव नहीं है। लेकिन हमारी राय है कि सभी देशों को सुधार के संबंध में आगे आना चाहिए। इस संबंध में विचार-विमर्श की आवश्यकता है।
जयशंकर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में आतंकवाद और उग्रवाद का उल्लेख किया। साथ ही कर्ज के दवाब का मुद्दा भी उठाया। बैठक में ऊर्जा सुरक्षा के साथ ही विभिन्न देशों पर प्रतिबंध लगाए जाने से उत्पन्न स्थिति का भी जिक्र किया गया। जयशंकर ने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों को भारत से बहुत अपेक्षाएं हैं।