पूरे देश में लोग दिवाली के त्योहार पर दिये जलाते हैं, पटाखे फोड़ते हैं और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी को बांटते हैं, लेकिन गोवा में दिवाली की मनाने का एक अलग ही अंदाज है। गोवा में दिवाली एक अनूठे रिवाज के साथ मनाते हैं। राज्य में दिवाली के दिन जगह- जगह पर राक्षस नरकासुर के पुतले जलाया जाता है। गोवा के लोग बुराई पर अच्छाई की जीत को सेलिब्रेट करने के लिए परंपरागत तरीके से राक्षस नरकासुर के पुतले जलाए जाते हैं।
कौन था राक्षस नरकासुर?
नरकासुर राक्षस कुल का एक खुखांर दैत्य था। नरकासुर के अत्याचार से पृथ्वी का हर एक प्राणी त्रस्द था। नरकासुर ने 16 हजार लड़कियां को बंधी बनाकर कैद में रखा था। नरकासुर के बढ़ते अत्याचार देखकर द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने उसका संहार करने की योजना बनाई। नरकासुर को श्राप था उसकी मौत एक स्त्री के हाथों होगी, इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से नरकासुर का संहार किया और कैद में फंसी 16 हजार लड़कियों को रिहा करवाया। ये वहीं 16 हजार लड़कियां हैं, जो आगे चल कर भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी बनी थी। नरकासुर के वध के कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी के रूप में भी मनाया जाता है।
नरकासुर वध प्रतियोगिता
बता दें कि, नरकासुर वध को लेकर गोवा के लगभग सभी जिलों में रातभर प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इन प्रतियोगिताओं में लोग कई समूहों में हिस्सा लेते हैं। इस मौके पर बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हुए नरकासुर के कई पुतले जलाए जाते हैं। इसके अलावा पूरे राज्य में नरकासुर के पुतले बनाने का कॉम्पीटीशन किया जाता है।