मिडिल ईस्ट में जारी तनाव और वैश्विक भू-राजनीतिक परिस्थितियों की वजह से दुनियाभर के बाजार में उथल-पुथल मची हुई है। सर्राफा बाजार भी इससे अछूता नहीं है। सर्राफा बाजार में सोना फिलहाल 77 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर को पार करके कारोबार कर रहा है। तेजी के इसी दौर में सोने की कीमत 78,450 रुपये प्रति 10 ग्राम के ऑल टाइम हाई लेवल को भी टच कर चुकी है। माना जा रहा है कि इस कीमत में धनतेरस और दिवाली तक और तेजी आ सकती है, क्योंकि पारंपरिक रूप से धनतेरस और दिवाली के दिन सोने की खरीदारी करना काफी शुभ माना जाता है।
इस साल सोने की कीमत में 32 प्रतिशत से अधिक की तेजी
तेजी की इन संभावनाओं के बीच ही सोने की कीमत में करेक्शन होने की आशंका वाली एक रिपोर्ट ने निवेशकों के बीच चिंता की लकीर खींच दी है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की एक रिपोर्ट के अनुसार सर्राफा बाजार में सोने की कीमत में हुई वृद्धि सामान्य औसत से काफी आगे बढ़ गई है। इस साल सोने की कीमत में 32 प्रतिशत से अधिक की तेजी आ चुकी है, जबकि साल 2000 के बाद सर्राफा बाजार में सोने की कीमत में अधिकतम 22 से 28 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है।
भारतीय सर्राफा बाजार में एक बार तेज गिरावट आने की संभावना
अगर इस रिपोर्ट में जताई गई आशंका सही साबित हुई, तो सोने की कीमत गिरकर 70 हजार रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर के करीब भी आ सकती है। रिपोर्ट में स्टैंडर्ड एंड पुअर्स डिपॉजिटरी रिसिप्ट (एसपीडीआर) होल्डिंग, डोमेस्टिक ईटीएफ इंपोर्ट, कमोडिटी फ्यूचर्स ट्रेडिंग कमिशन (सीएफटीसी) पोजीशंस, अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव और मिडिल ईस्ट के तनाव जैसे कारकों का जिक्र करते हुए बताया गया है कि इंटरनेशनल गोल्ड मार्केट मूल रूप से इन्हीं वजहों के कारण ऑल टाइम हाई लेवल पर पहुंचा हुआ है। हालांकि, पिछले 9 महीने से लगातार जारी तेजी के कारण अब इंटरनेशनल मार्केट में प्रॉफिट बुकिंग होने की पूरी संभावना बन गई है। ऐसी स्थिति में भारतीय सर्राफा बाजार में भी एक बार तेज गिरावट आने की संभावना बनी हुई है।
करेक्शन के बाद दोबारा तेजी का रुख बनेगा
इसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि मुनाफा वसूली और करेक्शन का ये दौर अधिक समय तक नहीं टिकेगा, क्योंकि वैश्विक हालात में जल्द कोई बड़ा बदलाव होने की उम्मीद नहीं है। इसलिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में एक बार करेक्शन होने के बाद दोबारा तेजी का रुख बनेगा, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी पड़ेगा। भारत अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत से ज्यादा सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार से ही खरीदता है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से भारतीय सर्राफा बाजार भी सीधे प्रभावित होता है।