बिहार सरकार ने लोगों को होने वाली असुविधाओं को कम से कम करने के लिए मौजूदा भूमि सर्वेक्षण को पूरा करने के लिए एक बार फिर इसकी समय सीमा जुलाई 2026 से बढ़ाकर दिसंबर 2026 कर दी है। बिहार के राजस्व और भूमि सुधार मंत्री संजय सरावगी ने बुधवार को अपने विभाग के 2025-26 के लिए 1955.98 करोड़ रुपये के बजट प्रस्तावों पर चर्चा के दौरान यह घोषणा की। अगले वित्त वर्ष के लिए विभाग के बजट को विपक्षी सदस्यों के बहिर्गमन के बीच सदन ने ध्वनिमत से पारित कर दिया।
जुलाई 2026 से बढ़ाकर दिसंबर 2026 की
मंत्री ने कहा,‘‘विभाग ने राज्य भर में भूमि के सर्वेक्षण के काम को पूरा करने के लिए जुलाई 2026 की समय सीमा को पांच महीने बढ़ाने का फैसला किया है। अब यह काम दिसंबर 2026 तक पूरा हो जाएगा। यह निर्णय यह सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है कि लोगों को किसी तरह की असुविधा न हो और इस काम में पारदर्शिता भी बनी रहे।” मंत्री ने स्पष्ट किया कि इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य हकदार लोगों को डिजिटल भूमि रिकॉर्ड उपलब्ध कराना है, ताकि विवादों को हमेशा के लिए समाप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि सरकार को भूमिहीनों और कई बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए भी भूमि की आवश्यकता है।
बढ़ सकती है स्व-घोषणा दस्तावेज अपलोड करने की तारीख
मंत्री ने कहा कि भूधारकों के लिए उनके स्वामित्व वाली भूसंपत्ति से संबंधित स्व-घोषणा दस्तावेज अपलोड करने की समय सीमा 31 मार्च, 2025 है। उन्होंने कहा, “सर्वर में कुछ तकनीकी गड़बड़ियां थीं… विभाग यह तय करेगा कि स्व-घोषणा दस्तावेज अपलोड करने की 31 मार्च, 2025 की समय सीमा को भी बढ़ाया जाना चाहिए या नहीं।” विपक्ष ने बिहार सरकार द्वारा भूमिहीन लोगों को भूमि के वितरण में कथित देरी को लेकर सदन से बहिर्गमन किया। भूमि सर्वेक्षण लंबे समय से नीतीश कुमार सरकार के एजेंडे में रहा है, क्योंकि भूमि विवाद राज्य में कानून और व्यवस्था के लिए सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरा है।
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