Google पर एक बार फिर से यूजर्स की चोरी-छिपे जासूसी करने का आरोप लगा है। कंपनी को इसके लिए 5 बिलियन डॉलर यानी करीब 41 हजार करोड़ रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है। टेक कंपनी गूगल पर यह आरोप लगा है कि यूजर्स के डेटा की सीक्रेट ट्रैकिंग की गई है। हैरानी की बात यह है कि जिस प्राइवेट ब्राउजिंग यानी इनकोगनिटो (Incognito) मोड का इस्तेमाल करके यूजर्स कुछ भी सर्च करते हैं, ताकि उनकी ब्राउजिंग सुरक्षित रहे। उस इनकोगनिटो मोड के डेटा की ट्रैकिंग का आरोप गूगल पर लगा है। अमेरिका की कैलिफोर्निया कोर्ट ने गूगल को 24 फरवरी 2024 तक केस के निपटारे का डॉक्यूमेंट अदालत में पेश करने के लिए कहा गया है, नहीं तो गूगल को भारी जुर्माना भरना होगा।
क्या है मामला?
गूगल पर यह मुकदमा 2020 में दायर किया गया था। कंपनी पर आरोप है कि गूगल एनालिटिक्स, कूकीज और ऐप्स के जरिए यूजर्स की जासूसी करता है। गूगल यूजर्स की पसंद, नापसंद, दोस्तों, शौक, पसंदीदा भोजन, यहां तक की खरीदारी की आदतों को भी ट्रैक करता है। यूजर्स द्वारा गूगल सर्च के जरिए कुछ भी सर्च करने पर यह जासूसी की जाती है। हालांकि, गूगल पहले कई बार इस मुकदमे को खारिज करने की कोशिश कर चुका है, लेकिन कोर्ट ने मामले की सघन जांच करने के लिए गूगल की अपील खारिज कर दी।
कैलिफोर्निया कोर्ट के जस्टिस रोजर्स ने कहा कि साल 2020 में यह मुकदमा दायर किया गया था। 1 जून 2016 से लेकर अब तक लाखों यूजर्स को पार्टी बनाया गया है। गूगल अगर इस मामले को तय समय तक नहीं निपटाता है, तो उसे हर यूजर को कम से कम 5 हजार डॉलर मुआवजा देना होगा।
यह पहला मामला नहीं है, जब गूगल पर यूजर की जासूसी करने का आरोप लगा है। इससे पहले भी गूगल पर इस तरह के कई आरोप लग चुके हैं। अमेरिकी सीनेटर रॉन विडेन ने आरोप लगाते हुए कहा है कि गूगल पुश नोटिफिकेशन के जरिए भी यूजर्स की जासूसी करता है।