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दंगल गर्ल बनकर पुष्पा यादव ने गोरखपुर और पूरे प्रदेश का नाम रोशन किया है. पु्ष्पा ने एशियाई अंडर-23 एशियाई चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर इतिहास रच दिया है. ऐसा करने वाली वह गोरखपुर की पहली महिला पहलवान बनी है. इससे पहले जयपुर और पुणे में आयोजित नेशनल चैंपियनशिप में भी उन्होंने रजत पदक जीता था. पुष्पा की इस उपलब्धि पर जिला कुश्ती संघ के अध्यक्ष दिनेश सिंह, अंतरराष्ट्रीय पहलवान पन्नेलाल यादव, रामाश्रय यादव, राकेश सिंह, जनार्दन सिंह यादव समेत कई कुश्ती प्रेमियों ने उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी है।

4 साल की थी तब मां का निधन

गोरखपुर के माड़ापार की रहने वाली पुष्पा उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल के पद पर लखनऊ पुलिस लाइन में तैनात हैं. पुष्पा पांच भाई बहनों में चौथे नंबर की हैं. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही एक विद्यालय से पूरी की और ग्रेजुएशन के लिए गोरखपुर के संस्कृत महाविद्यालय में (प्राइवेट) एडमिशन लिया है. जानकारी के मुताबिक, पुष्पा का जीवन बेहद गरीबी में बीता है. जब वह 4 साल की थी तभी उनकी मां का निधन हो गया था. परिवार की पूरी जिम्मेदारी अकेले पिता पर आ गई जो पहले से ही गांव के बाहर चाय की दुकान चलाते थे, बाद में उनके भाई और पुष्पा भी पिता का हाथ बंटाने लगे।

बचपन में कैसी थी पुष्पा?

पुष्पा बचपन से ही चंचल और शरारती थी. खेलकूद में उनका मन लगता था. शुरू में तो वह एथलीट बनने की सोचती थी, क्योंकि जीवन के शुरुआती दौर में उनके भाई भी पहलवानी करते थे, लेकिन पारिवारिक समस्याओं की वजह से आगे नहीं बढ़ पाए. इसलिए पुष्पा को उनके पिता ने पहलवान बनाने की सोची और कोचिंग कराने के लिए रेलवे स्टेडियम भेजने लगे. जिसका नतीजा ये निकला कि गोरखपुर की इस बेटी ने एशियाई चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर न सिर्फ अपने परिवार और शहर का बल्कि पूरे प्रदेश का परचम लहराया है।

 


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