शिवहर जिला से एक अजीबोगरीब मामला सामने आ आया है। जहां पुल तो बना दिया गया है लेकर पहुँच पथ नहीं है। बीच सरेह से पुल तो बना दिया गया है लेकिन सड़क का कोई नामोनिशान नहीं है. इस तस्वीर को देखकर ऐसा लग रहा है कि पिपराही के गांवों के खेतों में तीसी और अरहर के अलावा पुल की भी खेती होती है। बेलवा-नरकटीया गांव से देवापुर तक एस-एच 54 सड़क का निर्माण अधूरा है.
जगह-जगह पुल बन चुके हैं, मगर सड़क नहीं बनी. खेतों के बीच बने इन पुलों तक पहुंचने का कोई रास्ता नहीं है. न चढ़ने का, न उतरने का. प्रखंड क्षेत्र में कई जगहों पर ऐसे ही पुल बने हैं. यह भ्रष्टाचार और अव्यवस्थित योजना का बड़ा उदाहरण है। जहां पुल बना दिया गया, लेकिन सड़क का कोई अता-पता नहीं, यह सरकारी संसाधनों की भारी बर्बादी को दिखाता है।स्थानीय प्रशासन और संबंधित विभागों को इस पर जवाब देना चाहिए कि आखिर बिना सड़क के पुल क्यों बनाया गया? क्या इस परियोजना की कोई समुचित योजना थी या बस बजट को खर्च करने के लिए इसे जल्दबाजी में पूरा कर दिया गया?
अगर ये स्टेट हाईवे 54 का मामला है, तो संबंधित विभाग को तुरंत स्पष्ट करना चाहिए कि सड़क निर्माण क्यों अधूरा है और इसे कब तक पूरा किया जाएगा। जनता को भी इस मुद्दे को उठाकर प्रशासन पर दबाव बनाना चाहिए ताकि सरकारी पैसे की बर्बादी रोकी जा सके और विकास कार्यों को सही ढंग से पूरा किया जा सके। बागमती कार्यपालक अभियंता विनय कुमार ने बताया कि यह सड़क उनके विभाग के अधीन नहीं आती. जहां सड़क जानी थी, वहीं पुल बनाए गए हैं. मगर इसकी पुष्टि उनके विभाग से नहीं हो सकती. यह स्टेट हाईवे 54 का मामला है।
अगर ये स्टेट हाईवे 54 का मामला है, तो संबंधित विभाग को तुरंत स्पष्ट करना चाहिए कि सड़क निर्माण क्यों अधूरा है और इसे कब तक पूरा किया जाएगा। जनता को भी इस मुद्दे को उठाकर प्रशासन पर दबाव बनाना चाहिए ताकि सरकारी पैसे की बर्बादी रोकी जा सके और विकास कार्यों को सही ढंग से पूरा किया जा सके। बागमती कार्यपालक अभियंता विनय कुमार ने बताया कि यह सड़क उनके विभाग के अधीन नहीं आती. जहां सड़क जानी थी, वहीं पुल बनाए गए हैं. मगर इसकी पुष्टि उनके विभाग से नहीं हो सकती. यह स्टेट हाईवे 54 का मामला है।
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