उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाने की दुकान लगाने वालों को अपना नाम साफ-साफ शब्दों में लिखना होगा। योगी सरकार के इस फैसले के बाद होटलों, ढाबों और ठेलों पर नेमप्लेट दिखने लगे हैं। दूसरी ओर श्री काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम के अंदर मौजूद दुकानदारों को बोर्ड पर अपना नाम लिखना होगा। पांडेय ने कहा कि गैर सनातनी दुकानदारों से कुछ भी खरीदना अपवित्र हो जाता है। ट्रस्ट के अध्यक्ष ने योगी सरकार के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि जल्द ही काशी विश्वनाथ धाम के अंदर मौजूद दुकानों के लिए भी नई व्यवस्था लागू की जाएगी। इसके तहत दुकानदारों को अपना नाम लिखना होगा।
बागपत में बंद कराए होटल और मीट की दुकानें
योगी सरकार के फैसले का पश्चिमी यूपी में काफी असर देखने को मिला है। बागपत में कांवड़ मार्गों पर शुक्रवार को पुलिस ने मीट की दुकानों और होटलों को बंद करा दिया। इन दुकानों को सावन महीने के बाद खोला जाएगा। बागपत में हरिद्वार से कांवड़ लेकर आने वाले कांवड़िए दाहा-पुसार गांव से प्रवेश करते हैं। इसके बाद बड़ौत-बुढ़ाना, दाहा-बरनावा मार्ग से लाखों कांवड़िये अपने गंतव्य की ओर रवाना होते हैं ।
प्याज से नाराज हुए कांवड़िये
मुजफ्फरनगर के छपार में कांवड़ियों ने शुक्रवार को ढाबा मालिक पर खाने में प्याज डालने का आरोप लगाते हुए हंगामा किया। आक्रोशित कांवड़ियों ने ढाबे में तोड़ फोड़ कर दिया। डर के मारे ढाबे का कारीगर फरार हो गया। ये ढाबा परेई गांव के प्रमोद कुमार का था। बाद में पुलिस ने कांवड़ियों को समझाकर रवाना किया। दरअसल आधा दर्जन कांवड़ियां हरिद्वार से गंगाजल लेकर आए और ढाबे पर खाना खाने लगे। आरोप है कि होटल कर्मचारी ने कांवड़ियों के मना करने के बावजूद खाने में प्याज डाल दिया। खाना देखकर कांवड़ियां नाराज हो गए। इस दौरान होटल की कुर्सी, फर्नीचर और फ्रीज सहित सारा सामान तोड़ दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुजफ्फरनगर में ही अल्पसंख्यक समाज के कुछ दुकानदारों ने योगी सरकार के फैसले के बाद अपनी दुकानें दूसरे समाज के दुकानदारों को किराए दे दी हैं या फिर साझीदार बना लिया है। हरिद्वार से पश्चिमी यूपी के 240 किलोमीटर मार्ग पर ऊहापोह की स्थिति है। दूसरी ओर जमीयत उलमा ए हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने यूपी सरकार द्वारा धार्मिक पहचान उजागर करने वाले आदेश की निंदा की है। मदनी ने इसे अनुचित, पूर्वाग्रह पर आधारित भेदभावपूर्ण बताया है। मदनी ने कहा कि मुसलमानों को दोयम दर्जे का नागरिक बनाने की घिनौनी साजिश की जा रही है।