Voice Of Bihar

खबर वही जो है सही

गुरू तेग बहादुर ने कटवा ली गर्दन, लेकिन नहीं स्वीकारा इस्लाम; पढ़े इतिहास का ये मशहूर कहानी

ByKumar Aditya

नवम्बर 24, 2023
GridArt 20231124 144958897 scaled

गुरू तेग बहादुर सिंह के नाम से भारत का बच्चा-बच्चा वाकिफ है। गुरू तेग बहादुर सिखों के 9वें धर्मगुरू थे। इन्हें हिंद की चादर के नाम से भी जाना जाता है। आज गुरू तेग बहादुर सिंह का शहीदी दिवस है। ऐसे में हम आपको बताएंगे उनके अनसुने किस्से। हम बताएंगे कि कैसे हिंदू धर्म और भारत की बेटियों की रक्षा के लिए उन्होंने मुगल आतंकी शासक औरंगजेब से टक्कर ली। हम ये भी बताएंगे कि तेग बहादुर जी अगर चाहते तो अपना धर्म बदलकर अपनी जान बचा सकते थे। लेकिन उन्होंने सिख और सनातन धर्म को छोड़ना स्वीकार नहीं किया। इसका परिणाम यह हुआ कि औरंगजेब ने सबके सामने गुरु तेगबहादुर का सिर कटवा दिया।

अमृतसर से शुरू होती है कहानी

गुरू तेगबहादुर सिंह की कहानी अमृतसर से शुरू होती है। यहां उनका जन्म 21 अप्रैल 1921 को हुआ था। बता दें कि उनके पिता का नाम गुरू हरगोबिंद सिंह था जो कि सिखों के छठवे गुरू थे। वहीं उनका माता का नाम नानकी था। गुरू तेगबहादुर हरगोबिंद सिंह साहिब के सबसे छोटे बेटे थे। इनके बचपन का नाम त्यागमल था। लेकिन बाद में मुगलों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी के कारण इनका नाम तेग बहादुर के नाम से मशहूर हो गया।

मुगलों से लड़ाई

गुरू तेगबहादुर के पिता सिख धर्म के छठवें गुरू थे। उनके पिता ने भी मुगलों से लड़ाई लड़ी। मुगलों द्वारा हुए हमले में गुरू तेगबहादुर ने अपनी वीरता का परिचय दिया और कंधे से कंधा मिलाकर लड़ाई लडी। इस दौरान उनकी आयु मात्र 14 वर्ष थी। उनकी वीरता से प्रभावित होकर गुरू हर गोविंद सिंह ने उनका नाम तेग बहादुर रख दिया, जिसका मतलब होता है तलवार का धनी। यह वही समय था जब उन्होंने धर्म, शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा ली।

गुरू ने कटवा ली गर्दन, लेकिन झुके नहीं

भारत के हर बच्चे के जननायक गुरू तेग बहादुर ने औरंगजेब से सीधी टक्कर ली। जिस समय भारत में औरंगजेब ने जबरन धर्म परिवर्तन को लेकर मोर्चा खोला था। उस समय गुरू तेग बहादुर ने इस्लाम स्वीकार करने से इनकार कर दिया। साल 1675 में जब उन्होंने इस्लीम को स्वीकार नहीं किया तो औरंगजेब ने सबके सामने उनके सिर कटवा दिया था। गुरू तेग बहादुर ने सिर कटवाना स्वीकार किया लेकिन औरंगजेब के सामने झुकना और सिख धर्म को छोड़ना स्वीकार नहीं किया।

चांदनी चौक में औरगजेब ने काटी थी गर्दन

बता दें कि मुसलमान बनने से इनकार करने पर औरंगजेब ने गुरू तेग बहादुर की गर्दन 24 नवंबर 1675 को कटवा दी। गुरू साहिब के शीश को दिल्ली के चांदनी चौक में औरंगजेब ने धड़ से अलग करवा दिया था। बता दें कि जिस स्थान पर गुरू तेग बहादुर का शीश काटा गया, वहां आज एक गुरूद्वारा शीशगंज साहिब को स्थापित किया गया है। यहीं से रंगरेटा उनका सिर लेकर आनंदपुर साहिब की ओर भागा। आनंदपुर साहिब में श्री गुरू गोबिंद सिंह जी ने इस शीश का अंतिम संस्कार किया था।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *