बिहार के अलग -अलग जिलों के अंदर सरकारी स्कूलों में अपनी सेवा प्रदान कर रहे शिक्षकों को तो राज्य सरकार ने खुशखबरी जरूर दी है। लेकिन, इस खुशखबरी को हासिल करने के लिए जो मापदंड तय किए हैं उससे उन गुरूजी की सामत आनी तय मानी जा रही है जो अबतक बड़े ही आसानी अपनी सेवा का आनंद उठा रहे थे। अब यदि उन्हें खुद को राज्यकर्मी बनाना है तो फिर थोड़ी मेहनत करनी होगी और के के पाठक के साथ ही साथ शिक्षा विभाग की नज़रों में अपनी काबिलियत साबित करनी होगी।
दरअसल, सूबे में नियोजित शिक्षकों को तो राज्यकर्मी का दर्जा देने का एलान कर दिया गया है। लेकिन, इससे पहले उनके एक विशेष परीक्षा से गुजरना होगा यदि वो इस परीक्षा में सफल होते हैं तो बड़ी ही आसानी से उन्हें राज्यकर्मी का दर्जा मिल जाएगा और कई अन्य तरह की सुविधा भी हासिल होने लगेगी जो अबतक उन्हें नहीं मिलती थी। लेकिन, पेंच वहां फसेंगा जब कोई नियोजित शिक्षक तीन बार में भी इस परीक्षा में सफल नहीं होते हैं। इसके बाद उन टीचरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ जाएगा?
अब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के के पाठक के इस निर्णय और यदि अच्छे से समझे तो एक तरफ जहां राज्य में पिछले कई सालों से अपनी सेवा दे रहे शिक्षकों को झटका तो लगेगा लेकिन एक पक्ष यह भी है कि अगर उनकी यह नई तरकीब काम करती है तो फिर बिहार की शिक्षा में एक नया कायाकल्प देखने को मिल सकता है। अब हम आते हैं इस बात पर की यह संभव कैसे होगा ?
तीन बार फेल तो गई नौकरी
मालूम हो कि बिहार में 26 दिसंबर, 2023 को राज्य कैबिनेट ने बिहार विद्यालय विशिष्ट शिक्षक नियमावली, 2023 को स्वीकृति दी थी। इसके तहत नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा देंगे और आवंटित स्कूल में योगदान देंगे। नियोजित शिक्षकों को तीन बार परीक्षा पास करने का मौका दिया जाएगा यदि तीनों बार वे परीक्षा में फेल होते हैं तो उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाएगा।
बन सकती है नई तस्वीर
अब हम इस फैसले को अच्छी तरह से समझे तो इससे यह मालूम होता है की राज्य में अपनी सेवा दे रहे नियोगित शिक्षकों को तीन मौका दिया जा रहा है अपनी हुनर को साबित करने का और सबसे बड़ी बात यह है की इसमें कोई कट ऑफ मार्क्स नहीं है यानी आपके ऊपर कोई भी दवाव नहीं बस आपको अपना एग्जाम पास करना है और राज्यकर्मी का दर्जा हासिल कर लेना है। अब पाठक से इस चाल से होगा ये यदि कोई टीचर तीन बार में भी सफल नहीं हो पाते हैं तो जाहिर सी बात है अब उनके अंदर शायद वो जज्बा या पैनापन नहीं रहा तो वर्तमान में छात्रों को देने के लिए जरूरी है इससे बहुत बड़े पैमाने पर वैसे टीचरों की छुट्टी हो जाएगी जिनकी वजह से बिहार के अंदर सरकारी स्कूल को लेकर जो तस्वीर बनी हुई है और बिहार के सरकारी स्कूल की एक नई तस्वीर बन सकती है।
शिक्षक बहाली बना तूरूप का इक्का
इसके बाद अब सवाल यह है कि ये नियोजीत टीचर तो वहीं रहेंगे जो पहले से अपनी सेवा दे रहे हैं तो तस्वीर बदलेगी कैसे तो इसका जवाब कुछ इस तरह है कि राज्य में पहली बार बिहार लोक सेवा आयोग के तरफ से परीक्षा आयोगित करवा कर शिक्षकों की बड़े पैमाने पर बहाली करवाई जा रही है। सबसे बड़ी बात है की इस दौरान पहले चरण को छोड़ दें तो दुसरे चरण में यह देखने को मिला की कई सब्जेक्ट में टीचर बनने के लिए कट ऑफ 150 में 100 के आस – पास पहुंचा। इसका मतलब साफ़ है की पाठक और शिक्षा विभाग अब एक नई तस्वीर लिखने की शुरुआत कर्ट चूका है।
बहरहाल, अब देखना यह है की पाठक के इस नए निर्णय से बिहार की तस्वीर कितनी बदलती है और जब नियोगित शिक्षकों के लिए परीक्षा ली जाती है तो फिर उसका आकड़ा क्या निकल कर सामने आते हैं और एक तरफ नए टीचरों की रैपिड एक्शन मोड में बहाली चल रही है वो कहाँ तक बिना कोई लंबा ब्रेक लिए चल पाती है। यदि पाठक इसमें सफल होते हैं तो शायद बिहार के बच्चे को सपना लिए बैठे हैं उनका सपना साकार हो सके और बिहार में भी शिक्षा के स्तर में सुधार देखने को मिले।