दिल्ली की सड़को पर 5 दशक से हरजिंदर सिंह चला रहे हैं फ्री ऑटो एंबुलेंस, बचा चुके हैं सैंकड़ों मासूमों की जान

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दिल्ली की सड़कों पर दौड़ने वाली सैंकड़ों हरी-पीली ऑटोरिक्शा में से ही एक है हरजिंदर सिंह की ऑटोरिक्शा. उनकी ऑटोरिक्शा बाहर से बिल्कुल दूसरी ऑटोरिक्शा जैसी दिखती है लेकिन अलग है. इस ऑटोरिक्शा पर लिखा है खास संदेश. वो अपनी गाड़ी में फ़र्स्ट एड किट रखते हैं, जिसमें पट्टियां, दवाइयां, बर्न क्रीम, एंटीसेप्टिक लोशन आदि होते हैं. 80 साल के हरजिंदर सिंह पिछले 5 दशकों से दिल्ली में फ़्री ऑटो एंबुलेंस चला रहे हैं.

पांच दशक से चला रहे हैं ऑटो एंबुलेंस

नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक 1964 से दिल्ली की सड़कों पर ऑटोरिक्शा चला रहे हैं हरजिंदर सिंह. इससे पहले वो ट्रैफ़िक वॉर्डन थे. वो ऑटोरिक्शा यूनियन के महासचिव भी रह चुके हैं. उन्हें ऑटोरिक्शा चलाते हुए पांच दशक से ज़्यादा समय बीत चुका है लेकिन उन्हें कभी ट्रैफ़िक पुलिस ने नहीं रोका और न ही उनका एक बार भी चालान कटा.

दिल्ली के भजनपुरा में हरजिंदर अपने बड़े बेटे और उसके परिवार के साथ रहते हैं. वो सुबह 8 बजे काम पर निकल जाते हैं. सड़क पर जो भी ज़रूरतमंद दिखता है, उसकी मदद करते हैं.

फ़्री ऑटो एंबुलेंस चलाने की प्रेरणा कहां से मिली?

हरजिंदर सिंह को दिल्ली की सड़कों पर फ़्री ऑटो एंबुलेंस चलाने की प्रेरणा शहर में आई बाढ़ से मिली. बाढ़ पीड़ित इलाकों में उन्होंने राहत पहुंचाई. बाढ़ का कहर तो ख़त्म हो गया लेकिन हरजिंदर ने सेवा जारी रखी. हरजिंदर बताते हैं कि इसी समय के आस-पास उन्होंने मुफ़्त ऑटो एंबुलेंस सेवा शुरू की.

हरजिंदर अपनी ऑटोरिक्शा उर्फ़ फ़्री ऑटो एंबुलेंस में ज़रूरी दवाइयां लेकर चलते हैं. इस ऑटो में एक डोनेशन बॉक्स भी लगा है. सवारियों से वो डोनेट करने की अपील नहीं करते, लोग अपनी स्वेच्छा से जो दान कर दे उसे स्वीकार करते हैं. डोनेशन के पैसों से ही दवाइयां खरीदते हैं हरजिंदर. हरजिंदर की उम्र बहुत ज्यादा हो चुकी है लेकिन वो कहते हैं कि वो आखिरी दम तक लोगों की सेवा करते रहेंगे.

Rajkumar Raju: 5 years of news editing experience in VOB.