हरियाणा में सरकार बनाने का सपना देखने वाली कांग्रेस को निराशा हाथ लगी है। कांग्रेस के ‘हाथ’ से हरियाणा छूट गया है। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि इस चुनाव का असर यूपी की राजनीतिक फिजा में देखने को मिलेगा। यानी अब यूपी में होने वाले उपचुनावों में कांग्रेस के लिए सपा से सीट वितरण को लेकर दावा करना आसान नहीं रह गया है। सूत्रों के मुताबिक दावा किया जा रहा है कि उपचुनाव में कांग्रेस को एक ही सीट सपा दे सकती है। यूपी में 10 सीटों पर उपचुनाव होने हैं। वहीं, सपा ने अभी तय भी नहीं किया है कि कांग्रेस से गठबंधन करेगी या नहीं। करहल सीट से उम्मीदवार फाइनल भी कर दिया है। वहीं, कांग्रेस को फूलपुर सीट दी जा सकती है।
हरियाणा चुनाव के नतीजों के बीच समाजवादी पार्टी ने मंगलवार को ही करहल उपचुनाव के लिए अपना प्रत्याशी उतार दिया था। तेज प्रताप यादव को पार्टी ने टिकट थमाया है। इस सीट से पहले अखिलेश यादव विधायक थे। लेकिन लोकसभा सांसद बनने के बाद उन्होंने इस सीट को खाली कर दिया। हरियाणा में सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन को लेकर पेच फंस गया था। अब यूपी में भी गठबंधन को लेकर स्थिति सहज नहीं दिख रही। लोकसभा चुनाव के अच्छे नतीजे आने के बाद सपा ने कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र और हरियाणा में गठबंधन की पेशकश की थी। सपा ने हरियाणा में 6 सीटें मांगी थीं। लेकिन बात बन नहीं पाई। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस उपचुनाव में गठबंधन की स्थिति में 3-4 सीटें मांग रही है। सपा कितनी सीटें ऑफर करेगी, यह देखने वाली बात होगी।
गठबंधन नहीं हुआ तो क्या होगा?
गठबंधन नहीं होते देख सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने खुद को हरियाणा चुनाव से पहले अलग कर लिया था। जिसके बाद यूपी में भी सीट बंटवारे को लेकर बात आगे नहीं बढ़ी। माना जा रहा था कि अगर हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनी तो यूपी उपचुनाव को लेकर फिर सपा से बातचीत शुरू होगी। लेकिन पार्टी को हरियाणा में अपेक्षित नतीजे नहीं मिले हैं। अगर अब गठबंधन की बात चली तो सपा महाराष्ट्र में भी सीटों को लेकर दावा कर सकती है। जिस हिसाब से हरियाणा में नतीजे आए हैं, उससे लग रहा है कि अब कांग्रेस को 3-4 सीटें शायद ही अखिलेश यादव ऑफर करें। यह भी हो सकता है कि दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन न हो। दोनों पार्टियां अलग-अलग उपचुनाव भी यूपी में लड़ सकती हैं।