पटना हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण आदेश से बिहार के विश्वविद्यालयों के बैंक खाते फ्रीज करने के शिक्षा विभाग के आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि अगले आदेश तक सभी विश्वविद्यालयों और उनके अधिकारियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
न्यायाधीश अंजनी कुमार शरण की एकलपीठ ने मगध विश्वविद्यालय समेत आठ अन्य विश्वविद्यालयों की रीट याचिका पर सुनवाई करते हुए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को सोमवार 6 मई को सभी विश्वविद्यालयों के आला अधिकारियों के साथ बैठक बुलाने का निर्देश दिया है।
पटना के एक होटल में होगी मीटिंग
यह बैठक पटना के होटल मौर्या में सुबह 11 बजे होगी। साथ ही यह भी निर्देश दिया गया है कि बैठक की अध्यक्षता कोई नहीं करेगा।
वीडियोग्राफी कराने का दिया आदेश
हालांकि कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि यदि बिहार के मुख्य सचिव उस दिन फुर्सत में रहते हैं तो, उक्त बैठक की अध्यक्षता कर सकते हैं। यदि उन्हें समय नहीं मिल पाता है तो बैठक होगी और सभी मुद्दों पर समुचित तरीके से चर्चा की जाएगी। बैठक की पूरी कार्यवाही की वीडियोग्राफी भी कराई जाएगी।
राज्य सरकार वहन करेगी बैठक का खर्च
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि बैठक का खर्च राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। हाई कोर्ट ने विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाने की उम्मीद जताई है।
सभी विश्वविद्यालयों के वकीलों ने बैंक खाते फ्रीज होने के कारण पैदा हुए गतिरोध को तोड़ने के लिए तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप की गुहार लगाई थी। विश्वविद्यालयों का कहना था कि खाते फ्रीज किए जाने से इससे रोजमर्रा के काम प्रभावित हो रहे हैं।
कोर्ट को मीटिंग से सकारात्मक उम्मीद
कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी उम्मीद जताई कि विश्वविद्यालय अब सभी सेवानिवृत्ति बकाया का भुगतान करेंगे, कार्यरत कर्मचारियों को वेतन जारी करेंगे और परीक्षा कार्यक्रम को आगे बढ़ाएंगे। ताकि शैक्षणिक सत्र को बनाए रखा जा सके और नियमित किया जा सके। बड़े पैमाने पर छात्रों के हितों को नुकसान न पहुंचे।
इस मामले में याचिकाकर्ताओं का पक्ष अधिवक्ता राणा विक्रम सिंह ,सिद्धार्थ प्रसाद, विंध्याचल राय समेत अन्य अधिवक्ताओं ने रखा। वही सरकार का पक्ष महाधिवक्ता पीके शाही ने रखा । इस मामले की फिर से 17 मई को सुनवाई होगी।