बिहार में आपदा की दोहरी मार पड़ने वाली है. एक ओर आईएमएडी ने बिहार के 13 जिलों में बारिश को लेकर रेड अलर्ट जारी किया है तो वहीं दूसरी ओर नेपाल में भारी बारिश के कारण उत्तर बिहार में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है. जल संसाधन विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटों में बिहार के 13 जिलों में भीषण बाढ़ की संभावना है. सरकार ने इन 13 जिलों को हाई अलर्ट पर रखा है. कोसी और गंडक आने वाले समय में तबाही मचा सकती है।
56 साल का रिकॉर्ड टूटेगा: जल संसाधन विभाग के मुताबिक नेपाल में बारिश के कारण 56 साल बाद कोसी रिकॉर्ड तोड़ने वाली है. शनिवार को कोसी में सर्वाधिक पानी छोड़े जाने का अंदेशा है. इसका सबसे बड़ा कारण है नेपाल में भारी बारिश का होना. इससे पहले 1968 में कोसी ने रिकॉर्ड तोड़ी थी।
कोसी बराज से 56 गेट खोले गएः जल संसाधन विभाग की ओर से जारी अलर्ट के अनुसार शनिवार को 12 बजे कोसी बराज के 56 फाटक खोल दिए गए हैं. कोसी में 6.81 लाख क्यूसेक पानी पहुंचेगा. कोसी का बराज खोलने जाने के बाद सुपौल में जिला प्रशासन माइकिंग कर रहा है. सुबह के 7 बजे तक 4 लाख 18 हजार 285 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया. बराज के दोनों छोड़ पर लाल झंडे और बत्ती लगा दी गयी है।
गंडक भी तोड़ेगा रिकॉर्डः कोसी के अलावे गंडक भी अपने 21 साल का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए तैयार है. पूरे उत्तर बिहार के 13 जिलों पर खतरा मंडरा रहा है. शुक्रवार की रात 12 बजे वाल्मिकीनगर गंडक बराज खोल दिया गया है. गंडक बराज खोले जाने के कारण शनिवार सुबह 7 बजे तक 1 लाख 29 हजार 200 क्यूसेक पानी डिस्चार्ज किया गया है।
गंडक के आसपास बाढ़ का खतराः शनिवार को नेपाल से भी 5 लाख 93 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया है. शाम तक अनुमान है कि गंडक बराज से छोड़ा गया पानी 5 लाख क्सूसेक तक पहुंच जाएगा. गंडक के आसपास जिलों के निचले इलाकों के लोगों को सतर्क रहने की अपील की गयी है. बगहा, बेतिया, गोपालगंज, छपरा आदि जिलों में बाढ़ की संभावना है।
13 जिलों में अलर्टः कोसी और गंडक बराज खोले जाने के कारण नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ने लगेगा. 24 घंटे में गंगा, गंडक, कोसी, महानंदा आदि नदियों के जलस्तर में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज की जाएगी. इससे नदी के आस-पास के जिलों में बाढ़ की प्रबल संभावना है. इसको लेकर जिले 13 जिलों के डीएम को आपदा से निपटने के लिए तैयार रहने को कहा गया है. तटंबंधों पर अधिकारियों की तैनाती के साथ साथ राहत सामग्री का भंडारण करने का निर्देश दिया गया है।
“हम किसी भी आपात से निपटने के लिए तैयार हैं. सभी अधिकारियों को बाढ़ से निपटने के लिए 24 घंटे तटबंधों की निगरानी करने के लिए कहा गया है. अगले 24 घंटे तक अलर्ट घोषित किया गया है.” -विजय चौधरी, जल संसाधन मंत्री
इससे पहले कब टूटा था रिकॉर्ड: जल संसाधन विभाग के मुताबिक 5 अक्टूबर 1968 को कोसी में 7.88 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. इसके बाद पहली बार है जब कोसी में पानी छोड़े जाने का आंकड़ा 7 लाख क्यूसेक पहुंचने वाला है. वहीं 31 जुलाई 2003 को गंडक में 6.39 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया था. इसका रिकॉर्ड इसबार टूटने वाला है।
हर साल तबाही मचाती है कोसीः बिहार का शोक कही जाने कोसी नदी तिब्बत से निकलती है जो चीन और नेपाल होते हुए भारत पहुंचती है. सुपौल, अररिया, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, कटिहार, खगड़िया के कुछ हिस्से और भागलपुर के कुछ हिस्से कोसी के बाढ़ में प्रभावित होते हैं. हर साल इन जिलों में 10 लाख से ज्यादा लोग विस्थापित होते हैं।
गंडक से इन इलाकों में बाढ़ः गंडक नदी नेपाल के हिमालय से निकल कर भारत में प्रवेश करती है. उत्तर प्रदेश के बाद बिहार में प्रवेश करती है. 814 किमी लंबी यह नदी बिहार में चंपारन, सारन और मुजफ्फरपुर जिलों से होकर बहती है. पटना के संमुख गंगा में मिल जाती है. गंडक भी हर साल तबाही मचाती है. इसी नदी की धारा बूढ़ी गंडक है. पश्चिमी चम्पारण से शुरू होकर पूर्वी चम्पारण, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और बेगूसरायसे निकलकर खगड़िया में गंगा में मिल जाती है।