उत्तराखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को लोकायुक्त की नियुक्ति से जुड़ा बड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि सरकार तीन महीने के भीतर राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति का कार्य पूरा करे। कोर्ट ने ये भी कहा कि जब तक लोकपाल की नियुक्ति नहीं हो जाती, तब तक लोकायुक्त कार्यालय के स्टाफ को कोई भुगतान भी न किया जाए।
जनहित याचिका पर आदेश
उत्तराखंड हाई कोर्ट के समक्ष एक जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में बताया गया था कि भ्रष्टाचार विरोधी संस्था के प्रमुख की नियुक्ति के बिना उसके कार्यालय के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने इस याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को लोकायुक्त की नियुक्ति का आदेश जारी कर दिया है।
सरकार ने मांगा था ज्यादा वक्त
उत्तराखंड की सरकार ने उच्च न्यायालय से राज्य में लोकायुक्त की नियुक्ति के लिए 6 महीने का समय मांगा था। हालांकि, न्यायालय ने इसके लिए तीन महीने का समय देते हुए कहा कि सरकार इतने समय में ही लोकायुक्त की नियुक्ति करे।
हर साल दो से तीन करोड़ खर्च
कोर्ट के समक्ष दायर की गई जनहित याचिका में कहा गया था कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार विरोधी संस्था के नाम पर हर साल दो से तीन करोड़ रूपये खर्च कर रही है। इतने खर्च के बावजूद भी राज्य में अब तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की गई है। राज्य में कोई ऐसी एजेंसी नहीं है जो सरकार की पूर्वानुमति के बिना किसी नौकरशाह के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करे। याचिका में इन दलीलों के आधार पर लोकायुक्त के रिक्त पद को जल्द भरे जाने का अनुरोध किया गया था।