रेप पीड़िताओं के मेडिकल टेस्ट से जुड़े एक मामले पर मद्रास हाईकोर्ट ने कड़ी चेतावनी दी है। मद्रास हाईकोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा कि रेप पीड़िताओं का ‘टू फिंगर टेस्ट’ करने वाले डॉक्टरों को भी गलत काम करने का दोषी माना जाएगा। अदालत ने एक मामले की सुनवाई के दौरान ‘टू फिंगर टेस्ट’ पर आपत्ति जताई। बता दें कि इस टेस्ट पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले ही प्रतिबंध लगाया जा चुका है। कोर्ट ने इस बाबत दुख व्यक्त करत हुए कहा कि इस मामले में टेस्ट किया गया, इसका हमें दुख है। जबकि माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस कोर्ट ने कई मामले में कहा है कि रेप का पता करने के लिए यह टेस्ट करना स्वीकार्य नहीं है।
टू फिंगर टेस्ट करने वाले डॉक्टर भी होंगे दोषी
डॉक्टरों को मद्रास हाईकोर्ट ने कड़ी चेतावनी देते हुए आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के विपरीत इस तरह का टेस्ट डॉक्टर यदि करते हैं तो उन्हें भी गलत काम करने का दोषी माना जाएगा। बता दें कि साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने रेप पीड़िताओं के ‘टू फिंगर टेस्ट’ पर रोक लगा दी थी। साथ ही कोर्ट ने ऐसा करने वाले डॉक्टरों को भी चेतावनी दी थी। शीर्ष न्यायालय ने पाया था कि इस तरह की जांच का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है और इससे रेप पीड़िता को दोबारा बुरे दौर से गुजरना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय को भी यह सुनिश्चित करने को कहा कि रेप पीड़िताओं का ‘टू फिंगर टेस्ट’ न किया जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाया था प्रतिबंध
मद्रास हाईकोर्ट ने इस बाबत कहा कि इस तरह की जांच रेप पीड़िताओं की निजता, शारीरिक और मानसिक अखंडता और गरिमा का उल्लंघन करती है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाईकोर्ट की चेतावनी से पूर्व जिन महिलाओं को यौन शोषण का सामना करना पड़ता था, उनकी जांच के लिए कई स्थानों पर डॉक्टरों द्वारा ‘टू फिंगर टेस्ट’ किया जाता था, जिससे महिलाओं को दोबारा बुरे दौर से गुजरना पड़ता था, जिसके बाद एक मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसपर प्रतिबंध लगा दिया था।