पटना हाईकोर्ट ने बीपीएससी 70वीं परीक्षा की प्रारंभिक परीक्षा को रद्द करने या उसके रिजल्ट पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है. बिहार लोक सेवा आयोग(बीपीएससी) की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा के खिलाफ दायर 14 याचिकाओं पर आज पटना हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के साथ साथ बिहार सरकार और बीपीएससी के वकीलों की दलील सुनने के बाद अंतरिम आदेश पारित किया है. इसमें याचिका दायर करने वालों को किसी भी तरह की रिलीफ देने से इंकार कर दिया गय़ा है.
पटना हाईकोर्ट में गुरूवार को जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की बेंच ने बीपीएससी मामले पर सुनवाई की. सारे पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने कहा है-“ सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के साथ साथ तमाम तथ्यों और परिस्थितियों को देखने के बाद हम याचिका दायर करने वालों को किसी तरह की अंतरिम राहत नहीं दे सकते. जैसा कि याचिका में मांग की गयी है. इस मामले में प्रतिवादी बनाये गये बिहार सरकार और बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) को 30 जनवरी तक विस्तृत जवाब देने का समय दिया जा रहा है.”
31 जनवरी को अगली सुनवाई
कोर्ट की बेंच ने कहा है कि इस मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी को होगी. कोर्ट ने बीपीएससी प्रारंभिक परीक्षा के रिजल्ट पर रोक नहीं लगायी है. लेकिन, ये स्पष्ट किया है कि कोर्ट के अंतिम फैसले पर रिजल्ट का भविष्य निर्भर करेगा. यानि अगर सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट अगर रिजल्ट रद्द करने का आदेश देगी तो उसे बीपीएससी और सरकार को मानना होगा.
परीक्षा रद्द करने की मांग खारिज
बता दें कि बीपीएससी 70वीं परीक्षा के खिलाफ पटना हाईकोर्ट में कुल 14 याचिकायें दायर की गयी थीं. याचिका दायर करने वालों की ओर से वरीय अधिवक्ता वाई. वी. गिरी समेत दूसरे वकीलों ने अदालत में दलील पेश की. याचिका दायर करने वालों की ओर से कोर्ट से ये मांग की गयी कि 13 दिसंबर और 4 जनवरी को आयोजित बीपीएससी की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द कर दिया जाये.
कोर्ट में दायर याचिका में ये भी मांग की गयी थी कि वह बीपीएससी को 70वीं प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट घोषित करने से रोके. इसके साथ ही बिहार लोक सेवा आयोग को नये सिरे से प्रारंभिक परीक्षा लेने का निर्देश दिया जाये. कोर्ट ने इन तमाम मांगो को फिलहाल खारिज कर दिया है.
वैसे, हाईकोर्ट में वरीय अधिवक्ता वाई वी गिरी ने कहा कि याचिका दायर करने वाले सारे अभ्यर्थी हैं. वाई वी गिरी ने कहा कि बीपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में सिर्फ पटना के बापू परीक्षा परिसर में गड़बड़ी नहीं हुई बल्कि राज्य के अन्य 28 परीक्षा केंद्रों पर भी गड़बड़ी की गयी. याचिका दायर करने वालो ने कोर्ट से कहा कि इस परीक्षा का प्रश्न पत्र भी लीक हुआ था. परीक्षा के लिए बीपीएससी ने खुद सही से तैयारी नहीं की थी और परीक्षा के एक दिन पहले कई अभ्यर्थियों का केंद्र बदल दिया गया था.
याचिका दायर करने वालों की ओर से कोर्ट में कहा गया कि दो दिन परीक्षा लेना भी गलत है. बीपीएससी ने ऐसी प्रक्रिया अपनायी है जिससे 4 जनवरी को परीक्षा देने वालों को फायदा होगा. 13 दिसंबर को परीक्षा देने वालों को नुकसान उठाना पड़ेगा. ऐसे तमाम दलीलों से बीपीएससी परीक्षा को रद्द करने की मांग की गयी.
सरकार और बीपीएससी का कड़ा विरोध
कोर्ट में लगे आरोपों का जवाब देते हुए महाधिवक्ता पीके शाही और बीपीएससी के वकील ने कहा कि ऐसे सारे आरोप बेबुनियाद हैं. जिन 14 अभ्यर्थियों ने याचिका दायर की है, उनमें सिर्फ एक ऐसा है जो बापू परीक्षा केंद्र पर 13 दिसंबर और 4 जनवरी को आयोजित परीक्षा में शामिल हुआ था. बीपीएससी ने कहा कि किसी परीक्षार्थी ने आयोग को गड़बड़ी की कोई जानकारी नहीं दी है.
बीपीएससी की ओर से कोर्ट में कहा गया कि बापू परीक्षा केंद्र की वीडियो रिकार्डिंग करायी गयी थी. उसमें देखा गया है कि 13 दिसंबर को आयोजित परीक्षा के दौरान दिन के करीब एक बजकर पांच मिनट पर एक अभ्यर्थी प्रश्न पत्र लेकर भाग खड़ा हुआ. उन्हीं में कुछ प्रश्न को बाद में सोशल मीडिय़ा पर पोस्ट कर दिया गया. ऐसे में पेपर लीक का आरोप पूरी तरह गलत है. उधर, राज्य सरकार का पक्ष रख रहे महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि बीपीएससी परीक्षा को लेकर एक जनहित याचिका भी दायर की गयी है. उस याचिका को भी इसी सुनवाई में शामिल कर दिया जाना चाहिये.