कलकत्ता हाई कोर्ट ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को संकटग्रस्त संदेशखली गांव का दौरा करने की अनुमति दे दी लेकिन साथ ही इस बात पर हैरानी जताई कि मुख्य आरोपी शाहजहां शेख को अब तक राज्य पुलिस ने गिरफ्तार नहीं किया है। चीफ जस्टिस टी. एस. शिवगणनम की अध्यक्षता वाली बेंच ने मंगलवार को सिंगल जज बेंच के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया जिसने अधिकारी और बीजेपी के एक अन्य विधायक शंकर घोष को उत्तर 24 परगना जिले के संदेखालि ब्लॉक दो के पंचायती गांव संदेशखली जाने की अनुमति दी थी।
‘यह तथ्य है कि शेख को पकड़ा नहीं गया है’
कोलकाता से करीब 100 किलोमीटर दूर सुंदरवन की सीमा पर नदी के किनारे स्थित संदेशखली क्षेत्र में सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस के कुछ नेताओं द्वारा महिलाओं पर यौन अत्याचार और भूमि हड़पने के आरोपों पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। बेंच ने कहा, ‘यह बेहद हैरानी की बात है कि जिस व्यक्ति को इस समस्या का मूल कारण बताया जा रहा है उसे अभी भी पकड़ा नहीं जा सका है और वह कानून तोड़कर भागा हुआ है।’ बेंच ने कहा कि अदालत को नहीं पता कि उसे संरक्षण प्राप्त है या नहीं, तथ्य यह है कि उसे पकड़ा नहीं गया है।
कोर्ट ने 12 फरवरी को लिया था स्वत: संज्ञान
एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, ‘इसका मतलब यह हो सकता है कि राज्य के पुलिस तंत्र के पास उसे पकड़ने के साधन नहीं हैं या (वह) राज्य पुलिस के अधिकार क्षेत्र से बाहर है।’ एकल पीठ ने प्रशासन द्वारा संदेशखली के कुछ इलाकों में धारा 144 लागू करने पर भी अगले आदेश तक रोक लगा दी थी। चीफ जस्टिस शिवगणनम की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि जस्टिस अपूर्व सिन्हा रॉय की एकल पीठ ने 12 फरवरी को बंदूक की नोक पर यौन उत्पीड़न और आदिवासी भूमि को जबरन छीनने के आरोपों पर स्वत: संज्ञान लिया था।
शेख के परिसर में ED की टीम पर हुआ था हमला
बेंच ने कहा था कि कोर्ट इस तथ्य पर न्यायिक संज्ञान ले सकती है कि ED द्वारा 5 जनवरी को संदेशखली में उत्तर 24 परगना जिला परिषद के प्रमुख TMC नेता शाहजहां शेख के परिसर की तलाशी लेने के बाद समस्या उत्पन्न हुई। इसमें कहा गया कि पुलिस शाहजहां को गिरफ्तार नहीं कर पाई है जबकि उसके खिलाफ कई केस दर्ज किए गए हैं। उस पर आरोप है कि सर्च ऑपरेशन के दौरान ED के अधिकारियों पर हमला किया गया था। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा कैंप लगाकर संदेशखली में ग्रामीणों की भूमि को जबरन छीनने के आरोपों पर कैंप लगाना दिखाता है कि क्षेत्र में जमीन हड़पने का काम किया गया है।
‘सिर्फ IPC की धारा 144 लगाने से कुछ नहीं होगा’
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘प्रथमदृष्टया यह आरोप स्थापित होते हैं कि कानूनी औपचारिकताओं का उल्लंघन करके आदिवासी ग्रामीणों के स्वामित्व वाली भूमि को जबरन छीन लिया गया है।’ बेंच ने यह देखते हुए कि प्रशासन अनावश्यक रूप से तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर रहा है, कहा कि शाहजहां को पकड़ने में असमर्थ होने के बावजूद केवल IPC की धारा 144 लगाने का कोई असर नहीं पड़ेगा। बेंच ने निर्देश दिया कि राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले महाधिवक्ता को नोटिस जारी किया जाए और भारत संघ का प्रतिनिधित्व करने वाले अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल को सूचित किया जाए जिससे ED और CBI के वकील मामले की सुनवाई के लिए तय तारीख यानी अगले सोमवार को अपस्थित रहें।