देश में हाईवे नेटवर्क को मजबूत करने के लिए केंद्र सरकार ने आने वाले वर्षों में 74 नई सुरंगें बनाने का फैसला किया है। इन प्रोजेक्ट्स की अनुमानित लागत करीब एक लाख करोड़ रुपये है।
सरकार की ओर से 15,000 करोड़ रुपये की लागत से 49 किलोमीटर लंबी 35 सुरंगें पहले ही बनाई जा चुकी हैं। अब सरकार 273 किलोमीटर की नई सुरंगें बनाने की तैयार कर रही है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में देश में सुरंगों का नेटवर्क काफी मजबूत हुआ है। मौजूदा समय में 40,000 करोड़ रुपये की लागत से 134 किलोमीटर लंबी 69 के करीब सुरंगें बन रही हैं।
राष्ट्रीय राजधानी में फिक्की के टनलिंग इंडिया कॉन्फ्रेंस में मंत्री की ओर से कहा गया कि सरकार भारत 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में काम कर रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सड़कों पर नागरिकों की सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता है। वर्षा, भूस्खलन और बाढ़ से सड़कों को बचाने के लिए लागत प्रभावी स्थायी समाधान की जरूरत है।
सरकार की ओर से काम की गुणवत्ता को सुधारने के लिए सुरंग और डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट्स (डीपीआर) बनाने के लिए बनाए गए ज्वाइंट वेंचर में 51 प्रतिशत विदेशी हिस्सेदारी की अनुमति दी है।
गडकरी ने कहा, “हमें ऐसे समाधान तलाशने होंगे जिसमें गुणवत्ता के साथ समझौता किए बिना अच्छी तकनीक हो और लागत प्रभावी भी हो।”
सरकार का फोकस लगातार हाईवे नेटवर्क को मजबूत करना है।
मार्च में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण अरुणाचल प्रदेश में सेला सुरंग का उद्घाटन किया था। इस प्रोजेक्ट की लागत 825 करोड़ रुपये थी। यह 13,000 फीट की ऊंचाई पर बनी दुनिया की सबसे लंबी दो लेन की टनल है।
जुलाई में पीएम मोदी ने चीन के साथ उत्तरी सीमाओं को चौबीसों घंटे कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए निमू-पदुम-दारचा रोड पर ट्विन-ट्यूब 4.1 किलोमीटर लंबी शिंकुन ला सुरंग के निर्माण का शुभारंभ किया था।
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अक्टूबर, 2020 में अटल टनल का उद्घाटन किया था। इस टनल को बनाने में 10 वर्ष का समय लगा था। इसकी लागत 3,200 करोड़ रुपये थी।