केंद्र सरकार ने विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक की ओर से उच्चतम न्यायालय में दायर उस याचिका पर बुधवार को सवाल उठाया, जिसमें 2012 में गणपति उत्सव के दौरान दिए उसके कथित आपत्तिजनक बयानों को लेकर विभिन्न राज्यों में दर्ज प्राथमिकी को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया गया है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति एहसानुद्दीन अमानुल्ला और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ के समक्ष पेश सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने पूछा कि एक ऐसा व्यक्ति, जिसे भगोड़ा घोषित किया गया है, संविधान के अनुच्छेद-32 के तहत याचिका कैसे दायर कर सकता है। मेहता ने कहा, “मुझे उसके वकील ने बताया कि वे मामला वापस ले रहे हैं। हमारा जवाब तैयार है।” नाइक की तरफ से पेश वकील ने कहा कि उसे मामला वापस लेने के संबंध में कोई निर्देश नहीं मिला है और याचिका में विभिन्न राज्यों में दर्ज लगभग 43 प्राथमिकी को एक साथ जोड़ने का अनुरोध किया गया है।
वकील ने कहा कि उसके मुवक्किल के खिलाफ छह प्राथमिकी विचाराधीन हैं और वह इन्हें रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय का रुख करेगा। शीर्ष अदालत ने नाइक के वकील को हलफनामा दायर कर यह बताने का निर्देश दिया कि वह मामला जारी रखेगा या इसे वापस लेगा। इसके साथ ही अदालत ने मेहता से मामले में जवाब दाखिल करने को कहा। मामले की अगली सुनवाई 23 अक्टूबर को होगी। नाइक फिलहाल विदेश में है। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) कथित आतंकवादी गतिविधियों में उसकी संलिप्तता की भी जांच कर रहा है।