बिहार में इस साल ‘डिजिटल अरेस्ट’ के कितने मामले आए सामने? आंकड़े चौंकाएंगे
साइबर ठगी का एक नया तरीका सामने आया है, जिसे ‘डिजिटल अरेस्ट’ कहा जा रहा है। इस साल बिहार में डिजिटल अरेस्ट के कितने मामले सामने आए, इसके लेकर आंकड़े जारी किए गए हैं। बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने राष्ट्रीय साइबर अपराध हेल्पलाइन पर 301 ऐसे मामले दर्ज किए हैं, जिनमें पीड़ितों से कुल 10 करोड़ रुपये की ठगी की गई है। इस नए तरीके में ठग खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी बताकर लोगों को ऑडियो या वीडियो कॉल के जरिए डराते हैं और उन्हें डिजिटल तौर पर बंधक बना लेते हैं।
इन देशों से की जा रही ठगी
बिहार पुलिस के उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) मानवजीत सिंह ढिल्लों ने इस संबंध में जानकारी दी कि शिकायतों के बाद साइबर प्रकोष्ठ के अधिकारियों ने 1.5 करोड़ रुपये से अधिक की राशि जब्त की है। उन्होंने बताया कि यह ठगी ज्यादातर दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे कंबोडिया, म्यांमा, थाईलैंड, वियतनाम और लाओस से की जा रही है। ठग इन देशों से कॉल करते हैं और बिहार के लोगों को फंसा लेते हैं।
नौकरी के नाम पर बना रहे शिकार
डीआईजी ढिल्लों ने यह भी बताया कि पुलिस के आंकड़ों के विश्लेषण से यह सामने आया है कि इन देशों में बिहार के लगभग 374 लोग अवैध रूप से रह रहे हैं। इन लोगों के बारे में जानकारी जुटाई जा रही है, जो कथित तौर पर बिहार के युवाओं को नौकरी के नाम पर जालसाजी का शिकार बना रहे हैं।
साइबर अपराध के इस बढ़ते खतरे के मद्देनजर, पुलिस ने युवाओं को सख्त चेतावनी दी है। ईओयू की साइबर प्रकोष्ठ इकाई ने खास तौर से दक्षिण-पूर्व एशिया में नौकरी के नाम पर धोखाधड़ी के मामलों पर ध्यान आकर्षित किया है और सभी से आग्रह किया है कि वे किसी भी नौकरी प्रस्ताव और एजेंटों का सत्यापन करने के बाद ही किसी प्रकार का निर्णय लें।
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