दिल्ली में वायु प्रदूषण के कारण क्षेत्र की हवा जहरीली हो चुकी है। प्रदूषण के कारण बने फॉग ने पूरी दिल्ली को घेर रखा है। लोगों को बीते कई दिनों से सांस लेने में तकलीफ समेत कई अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इस बीच ये डेटा सामने आया है कि पराली जलाने और परिवहन साधनों का दिल्ली के प्रदूषण में कितने प्रतिशत का योगदान है। इस डेटा में चौंकाने वाली जानकारी देखने को मिली है।
क्या है प्रदूषण का हाल?
दिल्ली में गुरुवार की सुबह आठ बजे AQI 420 दर्ज किया गया, जबकि बुधवार शाम चार बजे यह 426 था। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा तैयार AQI मानचित्र में दिल्ली के पड़ोसी शहर गाजियाबाद में AQI 369, गुरुग्राम में 396, नोएडा में 394, ग्रेटर नोएडा में 450 और फरीदाबाद में 413 दर्ज किया गया है।
कौन कितना जिम्मेदार?
दिल्ली के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (DSS) की ओर से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, बुधवार को दिल्ली के प्रदूषण में 38 फीसदी योगदान पड़ोसी राज्यों, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में पराली जलाए जाने से निकले धुएं का था। वहीं, गुरुवार को दिल्ली के प्रदूषण के स्तर में पराली जलाने की घटनाओं का योगदान 27 फीसदी रहा है। इसके साथ ही शुक्रवार को कम होकर ये आंकड़ा 12 फीसदी रहने का अनुमान है। आंकड़ों में परिवहन को भी वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण बताया गया है। ये दिल्ली के हवा बिगाड़ने में 12 से 14 फीसदी योगदान दे रहा है।
क्या कर रही सरकार?
राजधानी क्षेत्र में बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सभी स्कूलों में 9 से 18 नवंबर तक सर्दी की छुट्टियों का ऐलान कर दिया है। दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने बुधवार को कहा कि दिल्ली सरकार राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इस महीने ‘क्लाउड सीडिंग’ के जरिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना बना रही है। पर्यावरण मंत्री ने राष्ट्रीय राजधानी में वायु प्रदूषण की समस्या पर चर्चा के लिए सभी मंत्रियों की बैठक बुलाई है।