शारदीय नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनना कितना सही या गलत! जानें क्या कहते हैं शास्त्र-पुराण

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नवरात्रि को शक्ति की उपासना का महापर्व माना जाता है। आश्विन मास की नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहते हैं। 2023 में शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर को घटस्थापना के साथ शुरू होगी जो कि 24 अक्टूबर को मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के साथ समाप्त होगी। इस बीच 22 अक्टूबर (रविवार) को महा अष्टमी और 23 अक्टूबर को महा नवमी का व्रत रखा जाएगा। शारदीय नवरात्रि के दौरान माता रानी के भक्त पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ 9 दिनों तक निर्जला व्रत रखकर उनकी उपासना करते हैं। मान्यता है कि शारदीय नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा की विधिवत उपासना करने से दैहिक, दैविक और भौतिक तीनों प्रकार के ताप दूर हो जाते हैं। शारदीय नवरात्रि व्रत के दौरान कुछ नियमों का पालन करना जरूरी होता है। ऐसे में कई लोगों के मन में जिज्ञासा होगी क्या नवरात्रि के दौरान शारीरिक संबंध बना सकते हैं? शास्त्रों में इस बारे में क्या बताया गया है। आइए जानते हैं कि शारदीय नवरात्रि में शारीरिक संबंध बनना सही या गलत और इस बारे में शास्त्रीय मत क्या है?

शारदीय नवरात्रि में यौन संबंध बनाना सही या गलत?

नवरात्रि का पर्व शक्ति की उपासना के लिए होता है। ऐसे में धार्मिक दृष्टिकोण से नवरात्रि के दौरान शारीरिक संबंध बनाना उचित नहीं है। ऐसे में साधक को इन दौरान शारीरिक संबंध बनाने से बचना चाहिए। क्योंकि पूरे नवरात्र में घर-घर मां दुर्गा की उपासना होती है, बहुत संभव है कि आपके घर भी मां दुर्गा की पूजा-अर्चना होगी। ऐसे में अगर आप इस अवधि में शारीरिक संबंधों की तरफ भागेंगे तो मन विचलित रहेगा। परिणामस्वरूप मां दुर्गा की उपासना मन से नहीं कर पाएंगे। ऐसे में पति-पत्नी को भी शारीरिक संबंध स्थापित करने से बचना चाहिए।

व्रत के दौरान रखना होता है संयम

नवरात्रि के दौरान अधिकांश लोग व्रत करते हैं और उसका विधिवत पालन भी करते हैं। अगर आपके घर में भी कोई सदस्य का जीवनसाथी व्रत रखता है तो इस दौरान यौन संबंध बनाने से उनका व्रत भंग हो सकता है। यही वजह है कि नवरात्रि के दौरान संयम रखने के लिए कहा जाता है। इतना ही नहीं, व्रत के दौरान मन में ऐसा विचार आने से भी व्रत का शुभ फल प्राप्त नहीं होता। ऐसे में व्रत के दौरान यौन संबंध ना बनाएं तो बेहतर है।

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः…

नवरात्रि के दौरान जगत जननी मां दुर्गा नौ रूपों में धरती पर पधारती हैं। सनातन परंपरा में स्त्रियों में देवी का स्वरूप देखा जाता है। यही वजह है कि नवरात्रि के दौरान कुंवारी कन्याओं और सुहागिन महिलाओं की पूजा की जाती है, उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। शास्त्रों में भी कहा गया है- “यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः । यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः”। भावार्थ यह है कि जहां स्त्रियों की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं और जहां स्त्रियों की पूजा नहीं होती है, उनका सम्मान नहीं होता, वहां किए गए सारे अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं। इस दृष्टि से भी नवरात्रि के दौरान संभोग क्रिया से दूर रहना चाहिए। यही वजह है कि नवरात्रि के दौरान संयम और ब्रह्मचर्य का पालन करना जरूरी है।

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