40 रुपए में कैसे गुजारे दिन …,’ बिहार सरकार की आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पर मांझी ने उठाया सवाल, जानें क्या कहा

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नीतीश सरकार ने बिहार विधानसभा में जाति एवं आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट पेश कर दी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक राज्य की करीब एक तिहाई आबादी गरीब है।जबकि, राज्य के 34.13 फीसदी परिवारों की मासिक आय महज 6 हजार रुपये है। सरकार ने इन्हें गरीबी की श्रेणी में डाला है। ऐसे में सरकार ने जो डाटा जारी किया है। इसको लेकर अब सबसे पहले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता और एनडीए के सहयोगी मांझी ने बड़ा सवाल उठाया है।

जीतन राम मांझी ने अपने सोशल मिडिया पर पोस्ट कर लिखा है, यदि नीतीश -तेजस्वी सरकार को जातीय गणना करवानी तो फिर काजगी लिफाफेबाजी क्यों कर रहे हैं। इससे उन्हें क्या फायदा मिलने वाला है? इसके आलावा मांझी ने राज्य सरकार से सवाल पूछते हुए सीधा हमला बोला है। मांझी ने अपने ट्विटर हेंडल (x ) पर लिखा है कि – वाह रे जातिगत जनगणना। सूबे के 45.54% मुसहर अमीर हैं, 46.45% भुईयां अमीर हैं? साहब सूबे के किसी एक प्रखंड में 100 मुसहर या भूईयां परिवारों की सूची दे दिजिए जो अमीर हैं? आप चाचा भतीजा को जब जनगणना करना था तो फिर कागजी लिफाफेबाजी क्यों?सूबे में “जनगणना” के बहाने खजाने की लूट हुई है।

इसके आलावा उन्होंने कहा कि – बिहार सरकार मानती है” जिस परिवार की आय प्रति दिन 200₹ है वह परिवार गरीब नहीं है” गरीबी का इससे बड़ा मजाक नहीं हो सकता। माना कि एक परिवार में 5 सदस्य हैं तो सरकार के हिसाब से परिवार का एक सदस्य को 40₹ में दिन गुजारना है। चाचा-भतीजा जी 40₹ में कोई व्यक्ति दिन भर गुजारा कर सकता है?

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