Voice Of Bihar

खबर वही जो है सही

कैसे होगी नैया पार ? बिहार कांग्रेस की दुर्दशा…अध्यक्ष 8 सालों बाद भी प्रदेश कमेटी नहीं बना पाए, कई प्रभारी आए और गए….’कृष्णा’ के सामने कई चुनौतियां

ByLuv Kush

फरवरी 15, 2025
IMG 1021

बिहार में इस साल अक्टूबर-नवंबर महीने में विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनावी रण में उतरने से पहले सभी पार्टियां संगठन को मजबूत बनाने में जुटी हैं.पिछले चार महीनों में हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस पार्टी दिखावे के लिए ही सही, चुनावी तैयारी में जुट गई है. आलाकमान ने 14 फरवरी को बिहार में नए प्रभारी की नियुक्ति की है. लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है, प्रभारी बदल देने से कांग्रेस पार्टी का बिहार में कायाकल्प हो जाएगा ? यह सवाल इसलिए, क्यों कि यह ऐसी पार्टी है, जिसके अध्यक्ष तो बदलते हैं, लेकिन सांगठनिक फेरबदल नहीं होता. अध्यक्ष प्रदेश कमेटी तक नहीं बना पाते हैं. यानि बिहार कांग्रेस राम भरोसे चल रही है.

बिहार में कांग्रेस की हालत देखकर आश्चर्य होगा…

 

कांग्रेस पार्टी भले ही बिहार विधानसभा का चुनाव पूरी मुस्तैदी से लड़ने की बात कहती हो, लेकिन हकीकत जानकर हर कोई आश्चर्य में पड़ जायेगा. बिहार में कांग्रेस की ऐसी हालत है कि 2017 से प्रदेश अध्यक्ष अपनी कमेटी नहीं बना पाये हैं. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मदन मोहन झा का कार्यकाल खत्म खत्म हो गया, वे पार्टी की प्रदेश कमेटी नहीं बना सके. वर्तमान अध्यक्ष डॉ. अखिलेश प्रसाद सिंह भी अभी तक प्रदेश कमेटी बनाने में सफल नहीं हो सके हैं. जानकर आश्चर्य होगा, वर्तमान अध्यक्ष की नियुक्ति दिसंबर 2022 में हुई थी. वर्ष 2023 और 2024  बीत गया. साल 2025 का फरवरी महीना है. सबसे महत्वपूर्ण काम नहीं कर सके. अखिलेश प्रसाद सिंह नई कमेटी बनाना नहीं चाहते या फिर इस काम में सफल नहीं हुए. आठ सालों से प्रदेश कमेटी क्यों नहीं बन पाई…यह बताने वाला कोई नहीं.

प्रभारी और अध्यक्ष में तालमेल का अभाव 

 

बिहार कांग्रेस के एक नेता ने बताया कि प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह और प्रभारी के बीच तालमेल का अभाव है. यही वजह है कि आज तक प्रदेश कमेटी नहीं बन सकी. पूर्व प्रभारी भक्त चरण दास प्रदेश समिति बनाने के पक्षधर थे, लेकिन तब प्रदेश अध्यक्ष तैयार नहीं हुए। लिहाजा नई कमेटी का मामला अब तक अटका हुआ है. अब प्रदेश अध्यक्ष कमेटी बनाने को इच्छुक हैं, बजाप्ता राहुल गांधी से भी इस संबंध में गुहार लगाई है. इसके बाद भी समिति नहीं बन पाई. पार्टी सूत्र बताते हैं कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह अपने कार्यकाल में प्रवक्ताओं की बात छोड़ दें तो, प्रदेश संगठन में सिर्फ एक नियुक्ति करा पाये हैं. इन्होंने कोषाध्यक्ष के पद पर निर्मल वर्मा को नियुक्त किया है.

नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरु के लिए राह आसान नहीं 

 

कांग्रेस आलाकमान ने बिहार कांग्रेस प्रभारी मोहन प्रकाश को बदलते हुए कृष्णा अल्लावरु को नया प्रभारी बनाया है। ये तेलंगाना राज्य से आते हैं. नए प्रभारी कृष्णा अल्लावरु नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं. कृष्णा बिहार में कितना सफल होंगे, यह तो भविष्य में पता चलेगा. इतना तय है कि उनकी बिहार की राह आसान नहीं होने वाली है। बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। चुनाव में राजद के साथ गठबंधन के तहत सीट बंटवारा करना एक बड़ी चुनौती होगी. प्रदेश अध्यक्ष अब तक प्रदेश की कमिटी की घोषणा नहीं कर पाए हैं। प्रदेश कमेटी बनवाना सबसे बड़ी चुनौती है. ऐसे में नए कांग्रेस प्रभारी को कई मोर्चों पर लड़ाई लड़नी होगी.

विधानसभा चुनाव 2020 में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट बेहद खराब 

बिहार में कांग्रेस पार्टी काफी हद तक राजद पर निर्भर है. लोकसभा चुनाव 2024 में महागठबंधन के अंदर सीट बंटवारे में कांग्रेस पार्टी को नौ सीटें मिली थी.जिसमें तीन पर जीत मिली थी. जबकि 2019 लोस चुनाव में नौ सीटों में सिर्फ एक पर विजय मिली थी. इस हिसाब से 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहा. हालांकि 2020 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी का स्ट्राइक रेट बेहद खराब रहा. पार्टी को विधानसभा की 70 सीटें दी गई थी. जिसमें सिर्फ 19 सीटों पर जीत मिली. जबकि राजद 144 सीटों पर लड़कर 75 पर जीत दर्ज की थी. दूसरे सहयोगी भाकपा माले का प्रदर्शन भी बेहतर रहा था.


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Submit your Opinion

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading