बिहार के ‘रेवेन्यू कोर्ट’ के अंतिम ऑर्डर में कैसे रूकेगा खेल..? राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने अपनाया यह तरीका

IMG 0770IMG 0770

बिहार सरकार जमीन से जुड़ी समस्याओं के समाधान को लेकर कोशिश कर रही. लेकिन समस्या ऐसी है जो खत्म होने का नाम नहीं ले रही. अब राजस्व न्यायालयों के कामकाज को अधिक पारदर्शी एवं जवाबदेह बनाने की कोशिश शुरू हुई है. राजस्व न्यायालयों में अंतिम पारित आदेश को डिजिटली ऑनलाइन करने की नई व्यवस्था की गई है.

आदेश को डिजिटली ऑनलाइन करने की नई व्यवस्था

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने राजस्व न्यायालयों में अंतिम पारित आदेश को डिजिटली ऑनलाइन करने की नई व्यवस्था की है.इससे न्यायालयों में पारित आदेश उसी दिन सभी प्रभावित पक्षों को प्राप्त हो जाएगा, जिससे लोगों में असंतोष नहीं होगा. पहले राजस्व न्यायालयों द्वारा सुनवाई के बाद दिए गए आदेश को ऑफलाइन पारित करने के पश्चात और उसपर कलम से दस्तखत करने के बाद पोर्टल पर ऑनलाइन करने की व्यवस्था थी.अब ऑनलाइन पोर्टल पर ही आदेश लिखने तथा इसे Digital Signature Certificate (DSC) से हस्ताक्षरित करते हुए वाद को निष्पादित करने का प्रावधान किया गया है।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त एवं सभी समाहर्ताओं को इस संबंध में एक पत्र लखा है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि राजस्व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली के तहत पारित किए गए आदेश को ऑनलाइन टाइप करते हुए और इसे डी0एस0सी0 से हस्ताक्षरित करके ही वादों का निष्पादन सुनिश्चित किया जाए.विभाग को सूचना मिली थी कि कई मामलों में विभिन्न स्तर के राजस्व न्यायालयों के आदेशों को पूर्व की तिथि से ही हस्ताक्षर एवं निर्गत किया गया है. किंतु आर0सी0एम0एस0 पोर्टल पर बाद की तिथि में अपलोड किया गया है। इससे गड़बड़ी की आशंका को बल मिलता है। बता दें, पटना सदर की डीसीएलआर ने ऐसा ही खेल किया था. तब पटना जिलाधिकारी ने पूरे मामले का खुलासा किया था. डीएम की रिपोर्ट पर तत्कालीन डीसीएलआर को सस्पेंड किया गया है.

विभाग ने बताया है कि पोर्टल पर आदेश अपलोड होने के बाद ही इसकी जानकारी आवेदक, अपीलार्थी या विपक्षी को हो पाती है। देर से फैसलों की जानकारी होने के कारण आवेदक या अपीलार्थी को अपील या पुनरीक्षण के लिए प्राप्त वैधानिक अवधि कम हो जाती है। इससे उनके अधिकारों का हनन होता है। राजस्व न्यायालय प्रबंधन प्रणाली के तहत न्यायालय की सभी प्रक्रियाएं यथा- सभी वादों को ऑनलाइन दायर करने, वादों की सुनवाई संबंधी cause list  को ऑनलाइन करने तथा सुनवाई की तिथि को पारित अंतरिम आदेश को डिजिटली ऑनलाइन दर्ज करने की व्यवस्था पूर्व से ही लागू है।

राजस्व प्रबंधन से संबंधित सभी न्यायालयों को ऑनलाइन एवं एकीकृत करते हुए एक ही पोर्टल में समाहित कर दिया गया है। नया आदेश अंचल अधिकारी, भूमि सुधार उप समाहर्ता, अपर समाहर्ता, समाहर्ता एवं आयुक्त के राजस्व न्यायालयों पर समान रूप से लागू होगा। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल ने कहा कि सभी राजस्व न्यायालयों को एकीकृत करके जून, 2024 में एक ही पोर्टल में समाहित कर दिया गया था। अगस्त, 24 में इसमें समाहर्ता और आयुक्त के न्यायालय को जोड़ दिया गया था। नई व्यवस्था से न्याय निर्णय होने और उसे प्रकाशित/प्रसारित होने के बीच के अंतराल को खत्म कर देगा।

whatsapp