बिहार में दो अक्टूबर 2023 को जातीय गणना की रिपोर्ट जारी की गई थी. विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मंगलवार (07 नवंबर) को इससे जुड़ी रिपोर्ट पेश की गई. इस रिपोर्ट में बिहार की कितनी आबादी कितनी पढ़ी-लिखी है उसका डेटा भी साझा किया गया है. इस रिपोर्ट के अनुसार बिहार में सिर्फ सात फीसद आबादी ने ही ग्रेजुएशन तक की शिक्षा हासिल की है.
रिपोर्ट के अनुसार 22.67 फीसद आबादी के पास कक्षा 1 से 5 तक की शिक्षा है. इसके अलावा कक्षा 6 से 8 तक की शिक्षा 14.33 फीसद आबादी के पास है. वहीं कक्षा 9 से 10 तक की शिक्षा 14.71 फीसद आबादी के पास है. 11वीं और 12वीं तक की शिक्षा 9.19 फीसद आबादी के पास है.
जातीय गणना के आंकड़ों को लेकर लगातार उठते रहे हैं सवाल
बता दें कि 2 अक्टूबर 2023 को जातीय गणना की रिपोर्ट जारी की गई थी. इस रिपोर्ट के बाद लगातार उसके आंकड़ों को लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं. आंकड़े में जातीय गणना की सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट में बिहार के लोगों की औसत आय, उनका शैक्षणिक स्तर आदि के बारे में बताया गया है. उधर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं का आरोप है कि बिहार सरकार ने कुछ खास जातियों की संख्या को बढ़ाकर दिखाया और अन्य जातियों की संख्या को कम कर दिया है ताकि राजनीतिक फायदा हो सके.
अमित शाह ने सर्वे के आंकड़ों को लेकर दिया था ये बड़ा बयान
दरअसल, बीजेपी जातीय गणना के आंकड़ों को फर्जी बता रही है. बीजेपी का आरोप है कि घर-घर जाकर सर्वे कराने का सरकार का दावा खोखला और झूठा है. इस बीच बीते रविवार को मुजफ्फरपुर में बीजेपी की रैली में अपने संबोधन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि जातीय गणना के आंकड़ों में यादवों और मुसलमानों की संख्या बढ़ाकर दिखाई गई है. इसके बाद से इस पर राजनीति और तेज हो गई.