बिहार के सीतामढ़ी की रहने वाली अंजली कुमारी के पति ने दूसरी शादी कर ली है. अपने छोटे बच्चे को गोद में लेकर पिछले 5 महीने से न्याय के लिए भटक रही है. उसने बताया कि वह पुलिस थाना में भी गयी लेकिन पति पैसा का पावर दिखाकर मामला दबा दे रहा है. अब वह बिहार महिला आयोग पहुंची है. उम्मीद है उसे यहां से न्याय मिलेगा, लेकिन हैरानी की बात है कि बिहार महिला आयोग पिछले 10 महीने से भंग है.
“कोई सुनवाई नहीं होती है. मेरा पति बहुत पैसे वाला है. सभी को रुपए देता है और मामला दबा दिया जाता है. महिला आयोग आए हैं. उम्मीद है मुझे यहां से न्याय मिलेगा.” -पीड़िता
मार्च 2024 महीने में आयोग भंग: नीतीश कुमार जनवरी 2024 में पाला बदला और एनडीए के साथ सरकार बना ली. दो महीने के बाद मार्च में कई आयोग सहित बिहार महिला आयोग को भी भंग कर दिया गया. पिछले 10 महीने से आयोग भंग है. सरकार भी बन गयी, मंत्रीमंडल का गठन भी हो गया अब नीतीश कुमार 2025 में सरकार बनाने के लिए प्रगति यात्रा कर रहे हैं, लेकिन इनका ध्यान बिहार महिला आयोग पर नहीं गया.
महिलाओं की बढ़ी समस्या: फिलहाल नीतीश कुमार प्रगति यात्रा के माध्यम से 2 करोड़ महिलाओं से संवाद की तैयारी में हैं. जीविका दीदियों से संवाद कर रहे हैं, लेकिन बिहार में पिछले 10 महीने से महिला आयोग भंग है, इसपर सरकार सुधी नहीं ले रही. इसके कारण महिलाओं की समस्या बढ़ गयी है. पहले पुलिस पदाधिकारी द्वारा कार्रवाई नहीं होने के कारण महिलाएं आयोग में आती थी, लेकिन अब यहां भी न्याय की उम्मीद कम ही जतायी जा रही है.
10 महीने में 10 हजार से अधिक शिकायत:महिला आयोग भंग होने के कारण हर महीने आने वाली हजारों शिकायतें लिफाफे में बंद पड़ी हुई है. पिछले 10 महीने में 10000 से अधिक शिकायत महिला आयोग में आ चुकी हैं. सरकार ने महिला आयोग में भांग रहने पर प्रशासक की नियुक्ति के लिए संशोधन भी किया था लेकिन अभी तक प्रशासक की भी नियुक्ति नहीं हुई है. इस मामले में मंत्री लेसी सिंह ने कहा कि इस ओर बहुत जल्द फैसला लिया जाएगा.
“सरकार महिलाओं के मामले को लेकर गंभीर है, क्योंकि महिलाओं को लेकर सबसे ज्यादा काम नीतीश कुमार ही कर रहे हैं. इस मामले में भी जल्द फैसला लिया जाएगा. बड़ी संख्या में महिला थाना भी बिहार में खोले गए हैं. आयोग का भी गठन हो जाएगा. इसको लेकर जल्द फैसला होगा.” -लेसी सिंह, खाद्य आपूर्ति मंत्री.
तत्कालीन अध्यक्ष ने किया था अच्छा काम: बता दें कि बिहार महिला आयोग में आने वाली शिकायतों के अंबार को लेकर विधानसभा में भी सवाल उठ चुका है. तत्कालीन आयोग की अध्यक्ष अश्वमेघ देवी ने जिलों में घूम घूमकर महिलाओं की समस्याओं को सुनी थी. हजारों मामलों का निष्पादन भी करवाया. लेकिन एक बार फिर शिकायतों का अंबार लगता जा रहा है.
संशोधन भी हुआ: बिहार राज्य महिला आयोग अधिनियम 1999 में संशोधन किया गया. बिहार राज्य महिला आयोग संशोधन अधिनियम 2024 लागू है. नीतीश सरकार ने यह व्यवस्था की है कि महिला आयोग के भंग होने की स्थिति में सरकार की ओर से आयोग के मामले की सुनवाई के लिए प्रशासक की नियुक्ति की जाएगी. पांच सदस्य एक कमेटी भी होगी, लेकिन आयोग भंग होने के बाद भी प्रशासक की नियुक्ति हुई है. ना ही पांच सदस्य कमेटी ही बनाई गई.
“अभी तक प्रशासक की नियुक्ति की भी कोई सूचना नहीं है. जब तक आयोग का गठन या फिर प्रशासक की नियुक्ति नहीं हो जाती तब तक सुनवाई भी नहीं होगी.”-अंजू कुमारी, सूचना पदाधिकारी, बिहार महिला आयोग
अध्यक्ष समेत 7 सदस्यीय कमेटी: महिलाओं शिकायत सुनने के लिए महिला आयोग में अध्यक्ष के साथ कुल 7 सदस्यीय कमेटी होती है, लेकिन यह कमेटी भंग होने के कारण पीड़िता को सुनवाई के लिए ना तो तिथि मिल रही है और ना ही कोई आश्वासन दिया जाता है.
कई चर्चित मामले की सुनवाई: बता दें कि आयोग में कई चर्चित मामले भी आए. प्रसिद्ध गायक उदित नारायण झा का मामला भी आया था. उदित नारायण झा की पहली पत्नी ने बिहार महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया था. सुनवाई के बाद ही उनकी पहली पत्नी को न्याय मिला था. गायक ने पहली पत्नी से समझौता किया था.