IAS Divya Tanwar : मजदूर की बेटी ने एक बार नहीं बल्कि दो बार किया UPSC क्रैक, 22 साल में रचा सफलता का नया इतिहास
सक्सेस स्टोरी की इस कड़ी में आज हम आपको बताएंगे बुलंद हौसलों और खूबसूरत इरादों वाली IAS दिव्या तंवर की कहानी, जिन्हें पढ़ने के लिए कोई शीशम की मेज या आलीशान कमरा नहीं मिला था।
बल्कि मिला था एक गरीब आंगन और एक मजदूरी करने वाली मां की तपस्या, जिनकी शक्ति और मजबूती देखकर 8 साल की दिव्या अधिकारी बनने का ख्वाब देखने लगी थी।
8 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया
दरअसल दिव्या तंवर ने मात्र 8 साल की उम्र में अपने पिता को खो दिया था। उसके बाद उनके घर की जिम्मेदारी उनकी मां के कंधों पर आ गई। दिव्या तीन भाई बहन हैं, उनकी मां ने अपने बच्चों को यही सिखाया कि बिना शिक्षा के कोई आगे नहीं बढ़ सकता। उन्होंने बच्चों के लिए मजदूरी की और 10-10 रुपये में साड़ी में फॉल लगाकर अपने बच्चों का पालन पोषण किया।
अपनी मां के संघर्ष को ही अपनी ताकत बनाया ( IAS Divya Tanwar Success Story)
बेटी दिव्या शुरू से ही बहुत मेधावी थीं, उन्होंने अपनी मां के संघर्ष को ही अपनी ताकत बनाया और बिना कोचिंग के सेल्फ स्टडी की, उन्होंने प्राइमरी पढ़ाई सरकारी स्कूल से की और बाद में बीएससी किया।
लेकिन उनकी मंजिल तो UPSC था, उन्होंने उसके लिए दिन-रात एक कर दिया और बिना कोचिंग के पहले प्रयास में ही UPSC क्रैक कर लिया, उनकी रैंक साल 2021 की परीक्षा में 438 रैंक थी और उस वक्त उनकी उम्र मात्र 21 साल थी।
AIR 105 रैंक हासिल करके सफलता का नया इतिहास लिखा
लेकिन अभी भी वो अपनी सक्सेस से खुश नहीं थीं और इसी कारण उन्होंने दोबारा से UPSC का एग्जाम दिया और इस बार उन्होंने AIR 105 रैंक हासिल करके सफलता का नया इतिहास लिख दिया।
साल 2021 की परीक्षा में दिव्या तंवर की 438 रैंक थी
इंस्टा पर करीब 207K followers हैं ( IAS Divya Tanwar Success Story)
22 साल की उम्र में अधिकारी बनने वाली दिव्या आज लोगों के लिए मिसाल हैं, वो सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं और उनके इंस्टा पर करीब 207K followers हैं, वो एक मोटिवेशनल स्पीकर के रूप में भी जानी जाती हैं।
‘सपने सिर्फ देखने के लिए मत देखिए बल्कि…’
वो हमेशा कहती हैं कि ‘शिक्षा ही इंसान की सोच को बड़ा और अच्छा बनाती है, सपने सिर्फ देखने के लिए मत देखिए बल्कि उनका पूरा करने के बारे में सोचिए, जिस दिन आप ऐसा करने लगेंगे उसी दिन आप सफल हो जाएंगे और आपको मंजिल मिलकर ही रहेगी।’
वो हमेशा कहती हैं कि ‘शिक्षा ही इंसान की सोच को बड़ा और अच्छा बनाती है, सपने सिर्फ देखने के लिए मत देखिए बल्कि उनका पूरा करने के बारे में सोचिए, जिस दिन आप ऐसा करने लगेंगे उसी दिन आप सफल हो जाएंगे और आपको मंजिल मिलकर ही रहेगी।’
एक नजर दिव्या तंवर के जीवन परिचय पर
- नाम- दिव्या तंवर
- जन्म-9 मार्च 2000
- पिता- भरत सिंह
- माता-बबीता सिंह
- भाई- साहिल सिंह
- बहन-तनीषा सिंह
- गांव-निम्बी, महेंद्रगढ़, हरियाणा
- जाति- राजपूत
- रैंक- यूपीएसी 2021 में 438 पहला प्रयास
- रैंक- यूपीएसी 2022 में 105 दूसरा प्रयास
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