सरकारी स्कूल हो या अस्पताल, अक्सर अपनी खराब दशा के कारण चर्चा में रहते हैं. बात अगर बिहार की करें तो यहां स्थिति और भी खराब है. अक्सर यहां के अस्पतालों में बवाल की खबरें सामने आती रहती हैं. बहुत से आम इंसान भी इन अस्पतालों में इलाज कराने से कतराते हैं, ऐसे में सरकारी बाबुओं का इन अस्पतालों में इलाज कराना तो एक अफवाह जैसी बात लगती है. लेकिन बिहार के एक DM ने इस अफवाह को सच कर दिया है.
कैमूर जिलाधिकारी (DM) सावन कुमार ने अपने एक अनोखे कदम से लोगों के लिए एक मिसाल पेश की है. उनकी पत्नी ने सदर अस्पताल भभुआ में सिजेरियन डिलीवरी से बेटे को जन्म दिया है. उनकी पत्नी और और बच्चा दोनों सुरक्षित और स्वस्थ हैं. जिलाधिकारी सावन कुमार की पत्नी गर्भवती थीं तभी से वह सदर अस्पताल भभुआ में ही अपनी पत्नी की जांच करा रहे थे. जांच के दौरान ही डॉक्टरों ने ऑपरेशन के द्वारा बच्चे के होने की बात बताई थी.
इसके बावजूद जिलाधिकारी सावन कुमार ने बड़े निजी अस्पताल में जाने की जगह आम लोगों की तरह अपनी पत्नी को सदर अस्पताल भभुआ में दाखिल कराया. मंगलवार को यहीं महिला डॉक्टर किरण सिंह के नेतृत्व में डॉक्टर मधु यादव व डॉक्टर अरविंद कुमार ने डीएम की पत्नी बबली आनंद की सर्जरी की. ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा और डीएम की पत्नी ने बेटे को जन्म दिया. जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं. इन्हें फिलहाल सदर अस्पताल में ही रखा गया है. बच्चे को एसएनसीयू और मां को आईसीयू में रखा गया है. डॉक्टर ने बताया कि डीएम की पत्नी और उनके बेटे को कुछ दिनों के लिए डॉक्टरों की निगरानी में रखा जाएगा. जब वह पूरी तरह से स्वस्थ हो जाएंगे तब उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी.
अपने इस अनोखे कदम के बारे में जिलाधिकारी सावन कुमार ने बताया कि सदर अस्पताल में डिलीवरी कराना सुखद अनुभव रहा है. राज्य सरकार के द्वारा कैमूर जिला में दो महिला चिकित्सकों की नियुक्ति की गई है. 10 बेड का आईसीयू बनाया गया है. जो भी व्यक्ति यहां इलाज के लिए आते हैं उनको पूरी सुविधा मिलती है.
उन्होंने आगे बताया कि, लोगों हमेशा यही सोचते हैं कि सरकारी अस्पतालों के मुकाबले प्राइवेट अस्पताल में अच्छा इलाज मिलेगा लेकिन हम लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि अब सरकारी अस्पताल में भी बेहतर इलाज मिलेगा, आप एक बार यहां अपना इलाज करा कर देखें. प्राइवेट अस्पतालों के अपेक्षा ज्यादा सुविधा राज्य सरकार यहां उपलब्ध करा रही है.
उन्होंने यह भी कहा कि, हम लोगों ने शुरू से ही प्लान कर लिया था कि हमें सरकारी अस्पताल में ही डिलीवरी करानी है ताकि जिले के लोगों का भी सरकारी अस्पतालों के प्रति विश्वास बढ़े.