बिहार में 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है. इसको लेकर गाहे-बगाहे नेता बयानबाजी करते नजर आते हैं. इसी कड़ी में बिहार के पूर्व मंत्री व वीआईपी चीफ मुकेश सहनी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने समीक्षा की बात कही है।
”मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने काफी सोच-समझकर शराबबंदी को लागू किया था. धरातल पर वह उद्देश्य पूरा नहीं हुआ. आज घर-घर पर शराब की होम डिलेवरी हो रही है. ऐसे में इस मसले पर विचार करने की आवश्यक्ता है. जब हमलोग (महागठबंधन) सरकार में आएंगे तो इसपर समीक्षा करेंगे. जनता से इस मुद्दे पर विचार लेंगे कि क्या करना चाहिए?”- मुकेश सहनी, वीआईपी प्रमुख
‘कानून व्यवस्था का हाल खराब’ : वहीं बिहार की कानून व्यवस्था पर भी मुकेश सहनी ने प्रश्न चिह्न खड़ा किया है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने डीजीपी बदलने का फैसला लिया है. लेकिन पुलिस वाले सही तरीके से काम नहीं कर रहे हैं. हम तो पुलिस वालों से कहेंगे कि शराब की डिलेवरी कराने की बजाए राज्य के हित में ध्यान दीजिए।
”पिछले कुछ सालों में बिहार में अपराध चरम सीमा पर पहुंच चुका है. इसका तो जीता-जागता उदाहरण मेरे पिता की हत्या है. बिहार के मुख्यमंत्री भी इस कानून व्यवस्था को लेकर चिंतित है. डीजीपी को बदले हैं, ठोस एक्शन लेने की आवश्यक्ता है. चुनाव आने वाला है, जब हम लोगों की सरकार बनेगी तो मजबूती से काम करेंगे.”- मुकेश सहनी, वीआईपी प्रमुख
शराबबंदी और कानून व्यवस्था बड़ा मुद्दा : बता दें जहां एक ओर एनडीए सरकार में शामिल केन्द्रीय मंत्री जीतन राम मांझी शराबबंदी पर सवाल उठा चुके हैं. वहीं दूसरी तरफ जन सुराज के संयोजक प्रशांत किशोर शराबबंदी खत्म करने की बात कह चुके हैं. इधर प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव अक्सर ही बिहार में कानून व्यवस्था पर वार करते ही रहते हैं. ऐसे में साफ है कि बिहार विधानसभा चुनाव में शराबबंदी और कानून व्यवस्था का मामला खूब तूल पकड़ने वाला है।