MUZAFFARPUR:- कहतें हैं कि हौसलें बुलंद हों तो शरीर की विक्लांगता भी उसे आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती है.इसका जीता-जाता उदाहरण मुजफ्फरपुर की बेटी ज्योति हैं जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू सम्मानित करने जा रही है. अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर उन्हें दिल्ली में यह सम्मानित किया जायेगा.इसके लिए ज्योति मुजफ्फरपुर से दिल्ली के लिए रवाना हो चुकी हैं.पुरस्कार सह सम्मान पाने वालों में ज्योति बिहार से इकलौती हैं।
मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी होने के बावजूद कला क्षेत्र में ज्योति ने उत्कृष्ट कार्य किया है।इसलिए उन्हें श्रेष्ठ दिव्यांगजन का पुरस्कार दिया जायेगा।अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर उन्हें दिल्ली में यह पुरस्कार मिलेगा।परिवार के लोगों ने बताया कि ज्योति का मधुबनी पेंटिंग से लगाव बचपन से था,लेकिन जब उन्हें मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी हुई तो उन्हौने पूरी तरह से अपने को मधुबनी पेंटिंग से जोड़ लिया। मधुबनी पेंटिंग में कई पुरस्कार हासिल करने के पश्चात् इंटर, ग्रेजुएशन, पीजी, अब एलएनएमयू, दरभंगा से हिंदी विषय में पीएचडी कर रही है। जो अन्य दिव्यांगों के लिए वह प्रेरणा स्रोत है। ज्योति कई बार राज्य स्तर पर भी सम्मानित हो चुकी हैं। उसने सफलता को हासिल करने में दिव्यांगता को बाधा बनने नहीं दिया। यहां तक कई बच्चों को निःशुल्क मधुबनी पेंटिंग का प्रशिक्षण दे रही हैं।
बताते चलें कि ज्योति मुजफ्फरपुर के चंगेल की रहने वाली है। उनके पिता वीरेंद्र कुमार लाल एक किसान है।ज्योति वर्ष 2002 में मैट्रिक परीक्षा पास की जिसके बाद उसे मस्कुलर डिस्ट्रॉफी नामक बीमारी हो गई। कुछ समय बाद यह बीमारी उनके भाई को भी हो गई। इसके बाद उन्होंने खुद को मधुबनी पेंटिंग से जोड़ लिया। अपने हुनर व कला को लोगों के बीच रखती रही। बच्चों को घर पर ही बुलाकर मधुबनी पेंटिंग का निःशुल्क प्रशिक्षण देती रहीं और खुद भी बनाती रहीं।इसका परिणाम हुआ कि उन्होंने इस क्षेत्र में एक मुकाम हासिल कर लिया।
बता दें कि अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस (03 दिसंबर) को केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत आने वाला दिव्यांगजन सशक्तीकरण विभाग दिव्यांगों का सशक्तीकरण करने की दिशा में उत्कृष्टकार्यों और उपलब्धियों के लिए हर वर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान करता है। इसी कड़ी में ज्योति को पुरस्कार मिला है।पुरस्कार लेने के लिए ज्योति दिल्ली रवाना हो गयी हैं।