जन सुराज से चुनाव लड़ना चाहते हैं तो करना होगा ये काम, उम्मीदवारों के लिए शैक्षणिक योग्यता भी तय
पिछले डेढ़ साल से ज्यादा वक्त से लगातार बिहार के गांवों की खाक छान रहे प्रशांत किशोर अब खुलकर सियासतदान की भूमिका में आ गए हैं. राजधानी पटना में जन सुराज के संगठन से जुड़े करीब 15 हजार नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. इस दौरान जन सुराज अभियान के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कार्यकर्ताओं का उत्साहवर्धन किया. जहां उन्होंने भविष्य की सियासत की रूपरेखा तैयार की और कार्यकर्ताओं से सहमति भी ली।
2 अक्टूबर को सियासी दल बनेगा जन सुराज: सबसे पहले बैठक में सर्वसम्मति से दो जन सुराज पदयात्रा को जारी रखते हुए इस पूरे अभियान को 2 अक्टूबर 2024 को एक राजनीतिक दल में परिवर्तित करने का फैसला लिया गया. इसके इसके अलावा जन सुराज अभियान जब दल बनेगा तो इसके नेतृत्व का पहला अवसर दलित समाज को मिलेगा. उसके बाद अति-पिछड़ा और मुस्लिम समाज में से नेतृत्व का फैसला किया जाएगा।
संगठन का 5 वर्गों में वर्गीकरण: प्रशांत किशोर ने संगठन को धार देने के लिए 5 वर्गों में संगठन को बांटा है. इसमें सामान्य वर्ग के लोग, ओबीसी वर्ग के लोग, अति-पिछड़ा समाज के लोग, दलित समाज के लोग और मुस्लिम समाज के लोग शामिल हैं. जिस वर्ग की जितनी संख्या है, उस वर्ग के उतने लोग जन सुराज का नेतृत्व करने वाली 25 सदस्यीय समिति में शामिल होंगे. यही सामाजिक प्रतिनिधित्व जन सुराज की सभी समितियों और टिकट वितरण में भी सुनिश्चित किया जाएगा।
उम्मीदवारी के लिए 2 जरूरी शर्तें: सर्वसम्मति से ये निर्णय लिया गया कि इस 25 सदस्यीय समिति में शामिल होने के लिए कोई भी व्यक्ति आवेदन दे सकता है. उसके लिए दो शर्तें रखी गई हैं. पहली शर्त के मुताबिक कम से कम 5 हजार लोगों को जन सुराज से जोड़ना होगा. वहीं दूसरी शर्त के अनुसार सामान्य शैक्षणिक योग्यता का भी होना जरूरी है।
बारी-बारी से सभी वर्गों को अवसर: प्रशांत किशोर ने जन सुराज के नेतृत्व को स्पष्ट करते हुए कहा कि जन सुराज का नेतृत्व करने का अवसर भी इन्हीं 5 वर्गों में से किसी एक वर्ग के व्यक्ति के पास होगा. जन सुराज का नेतृत्व करने का मौका सभी वर्ग के व्यक्ति को एक-एक साल के लिए मिलेगा. पांच साल के भीतर सभी वर्ग के लोगों को एक-एक बार जन सुराज का नेतृत्व करने का अवसर होगा।
दलित समाज को मिलेगा पहला मौका: जन सुराज में नेतृत्व करने का पहला अवसर दलित समाज के व्यक्ति को देने का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुआ. इसका कारण है कि समाज में आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक नजरिए से सबसे गरीब और पिछड़ा वर्ग दलित समाज है. इसके बाद दूसरा अवसर अति-पिछड़ा समाज या मुसलमान समाज को को दिया जाएगा. इस चुनाव में कोई दलित वर्ग का व्यक्ति शामिल नहीं होगा. इसके बार ओबीसी और सामान्य वर्ग के बीच से किसी व्यक्ति को जन सुराज का नेतृत्व करने का अवसर मिलेगा।
7 सदस्यीय चुनाव समिति की घोषणा: दल के नेतृत्व को चुनने के लिए 7 सदस्यीय चुनाव समिति की घोषणा की गई. इसमें समस्तीपुर से डॉ. भूपेंद्र यादव, बेगूसराय से आरएन सिंह, गोपालगंज से सुरेश शर्मा, सिवान से गणेश राम, पूर्वी चंपारण से डॉ मंजर नसीर, भोजपुर से अरविंद सिंह और मुजफ्फरपुर से स्वर्णलता सहनी शामिल हैं. इसके अलावे जन सुराज का संविधान लिखने के लिए 121 लोगों को जन सुराज संविधान निर्माण में भी जगह दी गई।
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