Voice Of Bihar

खबर वही जो है सही

नवरात्रि की 9 देवियों का महत्व: जानें किस देवी से मिलता है कौन-सा वरदान!

GridArt 20241003 102336495 jpg

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक पावन त्योहार है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। इन नौ दिनों में हर देवी का अपना अलग महत्व और रूप होता है, जिन्हें शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री के नाम से जाना जाता है। प्रत्येक देवी विशेष शक्तियों और गुणों का प्रतीक मानी जाती है, जो भक्तों को जीवन में साहस, शक्ति, ज्ञान और शांति प्रदान करती हैं। नवरात्रि के दौरान इन देवियों की पूजा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और पॉजिटिव एनर्जी मिलती है।

प्रथम शैलपुत्री

माता शैलपुत्री, पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और सती के रूप में जानी जाती हैं। ये देवी नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती हैं। इन्हें मातृ शक्ति का प्रतीक माना जाता है, जो मनुष्य को इच्छाशक्ति, भौतिक सुख और समृद्धि का वरदान देती हैं।

द्वितीय ब्रह्मचारिणी

देवी ब्रह्मचारिणी तपस्विनी स्वरूप हैं, जो कठिन तप और साधना की प्रतीक मानी जाती हैं। ये दूसरे दिन पूजी जाती हैं और इनकी आराधना से व्यक्ति को आत्मनियंत्रण, संयम और धैर्य का आशीर्वाद मिलता है।

तृतीय चंद्रघंटा

चंद्रघंटा देवी के माथे पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र सुशोभित है। ये देवी शत्रु नाश, साहस और विजय की प्रतीक हैं। तीसरे दिन इनकी पूजा की जाती है। इनकी उपासना से भय से मुक्ति मिलती है और आत्मविश्वास बढ़ता है। इनकी कृपा से व्यक्ति को साहस प्राप्त होता है और वे अपने जीवन के संघर्षों पर विजय प्राप्त कर सकते हैं।

चतुर्थ कूष्मांडा

कूष्मांडा देवी को सृष्टि की रचना करने वाली आदिशक्ति माना जाता है। ये चौथे दिन पूजी जाती हैं और क्रिएटिविटी, सकारात्मक सोच और समृद्धि प्रदान करती हैं। इनकी पूजा से व्यक्ति के भीतर आशावाद और जीवन में नए अवसरों की प्राप्ति होती है। यह देवी साधक के जीवन में सुख-समृद्धि लाती हैं।

पंचम स्कंदमाता

स्कंदमाता देवी भगवान कार्तिकेय (स्कंद) की माता हैं और मातृत्व तथा वात्सल्य का प्रतीक हैं। पांचवें दिन इनकी पूजा की जाती है। इनकी उपासना से व्यक्ति को सन्तान सुख, मातृत्व का आनंद और शत्रु नाश का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इनकी कृपा से घर-परिवार में प्रेम बना रहता है।

षष्ठम कात्यायनी

महर्षि कात्यायन की तपस्या से उत्पन्न यह देवी तेजस्वी रूप धारण करती हैं। छठे दिन इनकी पूजा होती है। ये देवी शत्रु नाश, विजय प्राप्ति और जीवन में प्रबल शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। इनकी कृपा से साधक हर संघर्ष में विजय प्राप्त करता है और जीवन में आत्मविश्वास से भरपूर रहता है।

सप्तम कालरात्रि

कालरात्रि देवी का रूप अत्यंत भयंकर है, लेकिन वे भक्तों के लिए अत्यधिक कल्याणकारी हैं। ये देवी अंधकार, भय और नकारात्मकता का नाश करती हैं। सप्तमी के दिन इनकी पूजा होती है। व्यक्ति को इनकी कृपा से हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

अष्टम महागौरी

महागौरी देवी का रंग अत्यंत उज्ज्वल है, इसलिए इन्हें महागौरी कहा जाता है। अष्टमी के दिन इनकी पूजा की जाती है। ये शांति, शुद्धता, सौंदर्य और सौभाग्य की देवी हैं। इनकी उपासना से व्यक्ति को आंतरिक और बाहरी शुद्धता प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।

नवम सिद्धिदात्री

नवरात्रि के अंतिम दिन, नवमी पर सिद्धिदात्री देवी की पूजा होती है। ये देवी हर प्रकार की सिद्धि, धन, समृद्धि और वैभव का वरदान देती हैं। इनकी कृपा से व्यक्ति को जीवन में आध्यात्मिक और भौतिक दोनों प्रकार की सफलता प्राप्त होती है, और वे अपने सभी लक्ष्यों को आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।


Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Discover more from Voice Of Bihar

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading